जयपुर। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का आज सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से ‘जयपुर घोषणा’ को अपनाए जाने के साथ समापन हो गया। राष्ट्रीय नीतियों, परिस्थितियों और क्षमताओं के अनुसार देशों को सांकेतिक रणनीति सुझाने के लिए एक मार्गदर्शन दस्तावेज तैयार किया गया है।
जयपुर घोषणा के हिस्से के रूप में, वैश्विक गठबंधन सी-3 (सर्कुलरिटी के लिए शहरों का गठबंधन) के रूप में एक सहयोगी ज्ञान मंच पर भी सहमति बनी है। जयपुर घोषणा में विभिन्न अपशिष्ट धाराओं और उनमें से प्रत्येक के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था लक्ष्यों के बारे में बताया गया है। यह संसाधन दक्षता और टिकाऊ सामग्री उपभोग के बारे में बताता है। घोषणा में अनौपचारिक क्षेत्र, लैंगिक मुद्दे और श्रम मुद्दों को भी शामिल किया गया है। इसमें कार्यान्वयन के साधन, साझेदारी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वित्त पोषण तंत्र और अनुसंधान और विकास के बारे में भी प्रावधान किया गया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े अपने समापन भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज अपनाया गया जयपुर घोषणापत्र इस साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मुझे खुशी है कि यह दशकीय घोषणापत्र ‘जयपुर’ के नाम के साथ जुड़ा होगा और भले ही यह बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह हमारे देश और एशिया प्रशांत के सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को एक चक्रीय संक्रमण की ओर ले जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के हमारे सिद्धांत के आधार पर, भारत चक्रीयता के लिए शहरों के गठबंधन (सी-3) के गठन में अग्रणी भूमिका निभाएगा और सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को इस गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए 12वां क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम एक ऐतिहासिक क्षण रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले दिनों में हमने बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए पर्यावरण संरक्षण, संसाधनों के सतत उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन पर महत्वपूर्ण चर्चा और विचार-विमर्श किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज के युग में 3आर (रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल) और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के अध्यक्ष प्रोफेसर अमित कपूर ने भारत के प्रयागराज में महाकुंभ में सबसे बड़े मानव समागम के लिए ठोस और तरल अपशिष्ट की सर्कुलरिटी को लागू करने पर एक विशेष संबोधन दिया। उन्होंने एक गहन अध्ययन के प्रमुख प्रारंभिक निष्कर्षों को साझा किया, जो इस आयोजन के लिए स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों की खोज करता है, जो लाखों तीर्थयात्रियों का प्रबंधन करते हुए पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नवीन दृष्टिकोण, मापनीयता और सर्वोत्तम प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।