जयपुर। थिएटर, कला, साहित्य और संस्कृति की महक से सराबोर करने वाले 13वें जयरंगम फेस्टिवल का रविवार को समापन हुआ। 5 दिवसीय फेस्टिवल में 11 नाटकों का मंचन किया गया, रंग संवाद में रंगमंच विशेषज्ञों ने विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला, खुशबू ए राजस्थान और पिटारा प्रदर्शनी में जीवन के अलग-अलग पहलू देखने को मिले। ऑवन योर बॉडी वर्कशॉप में कलाकारों ने अभिनय के गुर सीखे। जहां ‘कामायचा’ प्रस्तुति में मांगणियार कलाकारों ने अपनी गायकी से दिल जीता वहीं अधिकतर नाटकों में संगीत का बेहतर संयोजन फेस्टिवल में देखने को मिला।
पिंटू भैया ने कहा है…रोना नहीं है!
जयरंगम के अंतिम दिन स्पॉटलाइट सेगमेंट के तहत चौथा नाटक ‘पटना का सुपरहीरो’ खेला गया। निहाल पाराशर निर्देशित नाटक में अभिनेता घनश्याम लालसा ने एकल अभिनय से अपनी छाप छोड़ी। इस कहानी के नायक है ‘पिंटू भैया’। यह किरदार हमें अपने आस-पास और मोहल्ले में अक्सर दिखाई देता है। पिंटू भैया लड़कों में जिनकी दिलेरी के किस्से मशहूर है लेकिन पिंटू भैया एक हारे हुए आशिक है। पिंटू भैया की प्रेम कहानी को हास्य, व्यंग्य और मासूमियत भरे लहजे में दर्शाया गया। नाटक कभी हंसाता है कभी दिल गर्मजोशी से भर जाता है, कभी आंखों में आंसू आते है…लेकिन पिंटू भैया ने बोला है कि “रोना नहीं है!” अंत में यह डायलॉग सुनने के बाद दर्शक आंसू पोछते हुए ठहाके लगाते हैं।
इच्छाएं स्वतंत्र है या उन्हें भी किसी ने तय किया है?
जयरंगम के 13 साल के इतिहास में पहली बार इंटरनेशनल प्ले का मंचन किया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कलाकारों ने मार्कस डू सौतोय के निर्देशित एग्जिम ऑफ चाइस नाटक खेला। मार्क्स डू सौतोय ऑक्सफोर्ड में पब्लिक अंडरस्टैंडिंग ऑफ लाइफ और गणित के प्रोफेसर हैं। 8 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले मार्क्स बीबीसी के लिए चार भागों वाली ऐतिहासिक टीवी श्रृंखला द स्टोरी ऑफ मैथ्स सहित कई रेडियो और टीवी श्रृंखला प्रस्तुत कर चुके हैं। नाटक में दर्शाया गया कि प्रख्यात गणितज्ञ आंद्रे वेइल फ्रांस से भारत, फिनलैंड व अन्य क्षेत्रों की यात्रा पर यह जानने को निकलते है कि हमारी इच्छाएं स्वतंत्र रूप से जन्म लेती है या वे भी पूर्व निर्धारित है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूएन में कैद, वेइल को भाग्य का निर्धारण करने वाला निर्णय लेता लेकिन वह भी उसकी समझ से बाहर होता है। नाटक दर्शकों के सामने यह सवाल छोड़ता है कि क्या जीवन भी गणितीय प्रमेय की तरह है? क्योंकि कभी कभी इसे समझना बेहद मुश्किल होता है। नाटक में क्लाइव मेंडस जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेता, जोसेफ प्रोवेन, अभिनेत्री शिप्रा जैन और टीजे सुल्मन ने अपना अभिनय कौशल दिखाया।
अभिनय और संगीत से दर्शकों को अपने रंग में रंगा
‘आज रंग है’ के मंचन को तैयार मध्यवर्ती अनेक रंगों से सजा दिखाई दिया। पूर्वा नरेश के लिए यह पहला नाटक रहा जिसमें उन्होंने प्रोड्यूसर, लेखक, निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में काम किया। नाटक की पटकथा 15 साल पहले लिखी गयी जिसका मंचन गुलाबी नगरी में सर्द शाम में पहली बार किया गया। यह अमीर खुसरो के जीवन से प्रेरित प्रस्तुति रही। यही कारण रहा कि मंच पर गायन, तबला, सितार की लाइव परफॉर्मेंस भी देखने को मिली। नाटक 1960 के दशक में दर्शकों को ले जाता है। शारदा और फन्ने की प्रेम कहानी की प्रेम कहानी के जरिए निर्देशक ने गंगा जमुनी तहजीब का सुखद ताना बाना बुनने का प्रयास किया है।
बेहतरीन सेट डिजाइन इस प्ले में की गयी, ठंडी हवाओं के झोंकों से मंच पर लटके सफेद कपड़े जैसे लहराते दिखते हैं इस प्रेम कहानी को देखने वाले दर्शकों के दिलों में भी वैसे ही भावनाएं हिलोरे मारने लगी। शारदा का किरदार खुद पूर्वा नरेश ने निभाया। मुन्नू और बैनी दो ऐसे किरदार है जो पूर्वा की जिंदगी से ताल्लुक रखते हैं, वे कहती है कि मेरी नानी और उनके भाई से ये पात्र प्रेरित है जो मेरी हर कहानी में नजर आते हैं। इसके अतिरिक्त बुआ का किरदार नाटक के लिए गढ़ा गया है।
मीना और विद्या दो सहेलियों की मासूम नजरों से कहानी को दिखाने का प्रयास मंच पर किया गया। नाटक में फिल्मी जगत के सितारों सारिका सिंह, त्रिशला पटेल, प्रीतिका चावला, प्रीतिका चावला, तेलुगु अभिनेता राजशेखर, अभिनेता मयूर मोरे, आशीष शर्मा, शुभ्र ज्योति, राजीव कुमार, राघव दत्त, इमरान राशिद, वरूण कुमार अका क्रांति, उद्भव ओझा, सोहेल समीर ने भी अभिनय किया।