March 13, 2025, 2:06 am
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13वें श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति संरक्षण पुरस्कार – 2025 की घोषणा

जयपुर। बाघ संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत रणथंभौर की विश्व प्रसिद्ध संस्थाटाइगर वॉच की ओर से वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित फतेहसिंह राठौड़ स्मृति वन्यजीव संरक्षण पुरस्कारों की घोषणा की गई है। इसके तहत पर्यावरणीय विषयों पर लेखन और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के माध्यम से पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में जनजागरूकता पैदा करने के लिए पुलिस मुख्यालय में कार्यरत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर व लेखक डॉ. कमलेश शर्मा को पीपल एंड नेचर” सर्विसेज टू वाइल्डलाइफ अवार्ड के लिए चुना गया है।

टाइगर वॉच के ख्यातिप्राप्त जीव विज्ञानी डॉ. धर्मेंद्र खांडल ने बताया कि बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया कस्बे के मूल निवासी डॉ. कमलेश शर्मा को उनके पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में दीर्घकालिक समर्पण व स्वस्फूर्त प्रयासों के लिए सवाईमाधोपुर में आयोजित होने वाले 13वें श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति व्याख्यान एवं संरक्षण पुरस्कार – 2025 समारोह में प्रतिष्ठित “पीपल एंड नेचर” सर्विसेज टू वाइल्डलाइफ अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह समारोह 1 मार्च, 2025 को दोपहर 3:30 बजे फतेह पब्लिक स्कूल, सवाई माधोपुर में आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यह आयोजन टाइगर वॉच के संस्थापक और संरक्षक, स्वर्गीय फतेहसिंह राठौड़ के जीवन और विरासत का सम्मान करता है। रणथंभौर में उनके अनथक कार्य और उसके बाघों के प्रति समर्पण ने दुनिया भर में अनगिनत व्यक्तियों को वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरित किया। यह समारोह उन सभी व्यक्तियों को एक साथ लाता है जिन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य में योगदान दिया है, अपनी कहानियों को साझा करने और स्थानीय और राष्ट्रीय संरक्षणवादियों के उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

इन कार्यों के लिए हुआ डाॅ. शर्मा का चयन

डॉ. खांडल ने बताया कि वर्तमान में पुलिस मुख्यालय,जयपुर में कार्यरत डॉ. शर्मा का चयन द्वारा पिछले 25 वर्षों से जनसंपर्क पत्रकारिता के माध्यम से पर्यावरण, वन्यजीव और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। देशभर की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेखों का प्रकाशन हुआ है। बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की मैगजीन में दुर्लभ व खतरे के निकट पक्षियों, वन्यजीवों, तितलियों, वृक्षों की खोज और वन्यजीव व पक्षियों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर आलेख व शोध रिपोर्ट्स के प्रकाशन के साथ ही डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर व जयपुर जिले में आयोजित हुए बर्ड फेस्टिवल की शुरूआत में आपकी सक्रिय भूमिका रही।

इसके अलावा कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों के पुनर्वास के प्रति ग्रामीण जनमानस में पसरी भ्रांतियों को दूर कर जनजागरूकता पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाने, डूंगरपुर में खतरे के निकट घोषित ब्लेक हेडेड आईबीस के सैकड़ों घौंसलों वाले पेड़ काटे जाने पर दो सौ से अधिक पक्षियों व चिक्स को जीवनदान देने, तथा श्यामपुरा में एक साथ 38 प्रजातियों की पक्षियों की अवस्थिति को उद्घाटित कर इसे वन प्रकृति शिक्षा केन्द्र बनाने की मुहिम चलाने के लिए डॉ. शर्मा का चयन किया गया है।

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