जयपुर। तिब्बती लोगों के धार्मिक और राजनीतिक नेता 14वें दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो को 10 दिसम्बर 1989 का नोबेल विश्व शांति पुरस्कार दिया गया था। इस विश्व शांति पुरस्कार दिन को पूरे देश में तिब्बती लोग इसे समारोह के रूप मनाते आ रहे है। इस कडी में जयपुर के उमराव विहार गोकुलपुरा स्थित तिब्बती मार्केट में रविवार को एक समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में तिब्बती लोगों ने एक रंगारंग कार्यक्रम किया। जिसमें काफी संख्या में तिब्बती महिला- पुरूषों सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के चलते रविवार दोपहर दो बजे से तिब्बती मार्केट में खरीददारी बंद रही।
तिब्बती मार्केट के प्रधान थुन्डूब ने बताया कि दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो को नोबेल विश्व शांति पुरस्कार 10 दिसम्बर 1989 दिया गया था। उसी दिन से हर साल इसी तारीख को तिब्बती लोग एक समारोह के रूप में मनाते आ रहे है। रविवार को उमराव विहार गोकुलपुरा स्थित तिब्बती मार्केट में समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में मुख्य द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके बाद प्रार्थना सभा आयोजित की गई।
थुन्डूब ने बताया कि तिब्बती महिलाओं ने तिब्बती रिति रिवाज वेशभूषा पहन तिब्बती कल्चर डांस भी किया। साथ ही डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में जीतने वाले ग्रुप को पुरस्कार भी दिया गया। गौरतलब है कि दलाई लामा ने तिब्बत की मुक्ति के लिए अपने संघर्ष में लगातार हिंसा के इस्तेमाल का विरोध किया है।
इसके बजाय उन्होंने अपने लोगों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सहिष्णुता और आपसी सम्मान पर आधारित शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है। दलाई लामा ने शांति के अपने दर्शन को सभी जीवित चीजों के प्रति महान श्रद्धा और सभी मानव जाति के साथ-साथ प्रकृति को गले लगाने वाली सार्वभौमिक जिम्मेदारी की अवधारणा से विकसित किया है।