जयपुर। प्रताप नगर में स्थित डॉल्फिन स्कूल के पास ,राणा सांगा मार्ग ,सेक्टर -28 में परम पूज्य गुरूदेव सद्गुरूनाथ जी महाराज के सानिध्य में 21 से 25 दिसंबर तक श्री मृत्युंजय शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन किया गया। मृत्युंजय महापुराण का आयोजन दोपहर 1 से 4 बजे तक किया गया। जिसमें सैकड़ो की संख्या में भक्तगण शामिल हुए। शिव महापुराण कथा से पहले कलश यात्रा निकाली गई। सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि कलश रिद्धि- सिद्धि का प्रतीक है। इसका हिंदू धर्म में अपना महात्म्य है। उन्होंने कहा कि कलश हमारे जीवन के हर क्षण में काम आता है।
जन्म के समय भी कलश स्थापना की जाती है और मरने के समय भी शरीर के साथ कलश विसर्जित किया जाता है। कलश के उपर नारियल रखा जाता है। यह नारियल मनुष्य को इस बात की शिक्षा देता है कि परिवार के मुखिया को उपर से सख्त और अंदर से मुलायम होना चाहिए। इससे जीवन की गाड़ी बेहतर चलती है। कलश के उपर जो माला रखी जाती है उसका अलग महत्व है। जिस प्रकार माला में लगा हुआ फूल महकता है उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी दूसरों को सुगंध देने वाला होना चाहिए। कलश यात्रा के दौरान भक्तगण ऊँ नमः शिवाय एवं गुरूदेव के जय के नारे लगा रहे थे जिससे माहौल भक्तिमय नजर आ रहा था।
गुरूदेव ने कहा कि सिर पर कलश रखने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा पवित्र व निर्मल होती है। ऐसे भक्तों पर भगवान की विशेष कृपा होती है। कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने वाले जहां से भी भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं। जिनके तमाम रोग दोष विकारों का भगवान हरण कर देते है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
कथा के आयोजक तुलसी त्रिलोकानी (समाजसेवी एंड अध्यक्ष सिंधी समाज) ने कहा कि शिवकृपा मानव के लिए अति आवश्यक है। परम पूज्य गुरूदेव द्वारा कथा का श्रवण कर इस क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा होगा। सद्गुरूनाथ जी महाराज पूरे भारतवर्ष में शिवमहापुराण कथा द्वारा लोगों के जीवन में आने वाले काफी समस्याओं को दूर कर देते है। कथा का सीधा प्रसारण आस्था चैनल एवं यूटूयूब द्वारा संपूर्ण भारत में होगा। कथा के पहले दिन 22 दिसम्बंर को नारद मोह एवं शिवमहापुराण कथा विधि तथा श्रृष्टि रचना की गाथा लोगों को सद्गुरूनाथ जी महाराज के श्रीमुख से सुनने को मिलेगा।
गौरतलब है कि सद्गुरूनाथ जी महाराज भगवान भोलेनाथ की प्रेरणा से संपूर्ण भारतवर्ष में गांव या फिर शहर शिव महापुराण कथा द्वारा शिव भक्ति की अविरल गंगा बहा रहे हैं इनके अनोखे ढंग से सुनाए जा रहे कथा के दौरान लोगों को सुखद अनुभूतियां होती है। लगता है मानो साक्षात भोलेनाथ वहां मौजूद हों। कथा के दौरान इतनी ज्यादा भक्तों की भीड़ होती है कि पूरा कथा स्थल शिवमय नजर आता है। चारों तरफ से ऊँ नमः शिवाय की ध्वनि ही गूंजती रहती है। त्रिलोकानी व शर्मा परिवार ने कथा को विश्राम दिया।