जयपुर। गुरूद्वारा वैशाली नगर में गुरू गोविंद सिंह के चार साहिबजादे एवं माता गुजर कौर की शहादत को समर्पित कीर्तन दीवान सजाए गए। ये तीन दिवसीय कार्यक्रम 23 दिसंबर से शुरू होकर 25 दिसंबर को इसका समापन हुआ।
तीनों दिन कीर्तन दीवान में भाई कंवरपाल सिंह, भाई तेजबीर सिंह, भाई तीरथ सिंह, देवेन्द्र सिंह, ज्ञानी बाबू सिंह ने भी सुरा सो पहचानिए जो लरै दीन के हेत, पुरजा पुरजा कट मरे कबहु न छाढे खेत…जैस शबद गायन कर संगत को निहाल किया। सोमवार को सुबह भाई कंवरपाल सिंह ने संपूर्ण आसा दी वार का गायन किया।
तीनों दिन गुरु का लंगर अटूट वरताया गया। गुरुद्वारे के प्रधान सरदार सर्वजीत सिंह माखिजा ने बताया कि 20 दिसंबर से 28 दिसंबर तक आठ दिनों में गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार बिछड़ गया था। गुरुजी के बड़े दो साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह और अन्य कई सिख मुगलों से लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए। गुरुजी के दोनों छोटे साहिबजादों को दीवार में जिंदा चुनवा कर शहीद कर दिया गया।