जयपुर। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से जवाहर कला केंद्र में आयोजित 6 दिवसीय ‘पधारो म्हारे शिल्पग्राम’ राष्ट्रीय प्रदर्शनी का मंगलवार को समापन हुआ। शहरवासियों की मिली सराहना से दस्तकारों के चेहरे खिले दिखाई दिए।
19 विभिन्न राज्यों से एग्जीबिशन में शामिल होने आए दस्तकारों एवं हस्तशिल्पियों के हुनर को नाबार्ड ने इस मेला प्रदर्शनी के माध्यम से निखारने का प्रयास किया है। कोविड के चलते तीन साल के लंबे अंतराल के बाद नाबार्ड ने भारतीय कलाओं को फिर से उबारने की कोशिशों को नए आयाम देकर सफल किया है।
लोगों ने जमकर उठाया शॉपिंग का मजा
शिल्पग्राम में पधारो म्हारे शिल्पग्राम राष्ट्रीय प्रदर्शनी में राजस्थान, जम्मू कश्मीर, असम, केरल, पंजाब सहित 19 राज्यों से आने वाले करीब 150 दस्तकारों एवं हस्तशिल्पियों ने हिस्सा लिया। नाबार्ड राजस्थान के मुख्य महा प्रबंधक डॉ.राजीव सिवाच ने बताया कि मेले की 80 से अधिक स्टॉल्स पर रोजमर्रा के उत्पाद, कपड़े, हस्तशिल्प एवं हर्बल प्रोडक्ट, क्ला मिट्टी के बर्तन, पेंटिंग, हैंड ब्लॉक प्रिंट एवं खाद्य पदार्थ प्रदर्शित किए गए जिन्हें अच्छा रेंसपोंस मिला है।
प्रदर्शनी में जयपुर की कुंदर मीना कारीगरी, बाड़मेर की पीपली कढ़ाई, श्रीअन्न उत्पाद, टेराकोटा उत्पाद, टांकला दरी, जम्मू कश्मीर के सूखे मेवे, सीतलपति उत्पाद, गुजरात के काठियावाड़ी बीड वर्क, हरियाणा की हस्तनिर्मित दरी, कर्नाटक की हथकरघा साड़ियां, महाराष्ट्र की शुद्ध टसर सिल्क साड़ी, बाड़मेर के एप्लिक वर्क उत्पाद, कारपेट, डेकोरेटिव आइटम्स, राजस्थानी जूती आदि शामिल रहे।
जीआई टैग प्रोडक्ट को मिला अच्छा रेंसपोंस
डॉ. सिवाच ने बताया कि एग्जिबिशन में ब्रांडेड प्रोडक्ट के लिए अलग से जीआई पवेलियन बनाया गया। इसमें 19 स्टॉल्स को रखा गया था। इन सभी स्थानीय कला एवं प्रोडक्ट को केंद्र सरकार की ओर से जीआई टैग मिला हुआ है। जीआई पवेलियन में ब्लू पोटरी, बगरू एवं सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट, सोजत महंदी, जोधपुरी बंधेज, बीकानेरी कशीदाकारी व उस्ता कला, नाथद्वारा की पिछवाई, उदयपुर की कोफ्तगिरी, राजस्थानी कठपुतली, कोटा डोरिया साड़ी, कश्मीरी केसर, उत्तराखंड का तमता क्राफ्ट, मध्य प्रदेश की वारासिवनी सिल्क साड़ी, वाराणसी के खिलौने, पंजाब की फुलकारी, तमिलनाडु की कोविलपट्टी कादलाई मित्तई, और राजसमंद की मोलेला पोट्री शामिल है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां
हस्तशिल्प मेले में सांस्कृतिक लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गयी प्रस्तुतियों ने दर्शकों की जमकर तालियां बटौरी। इस दौरान 6 दिन 6 अलग अलग राजस्थानी नृत्यों की प्रस्तुतियां दी गयी। मेले के अंतिम दिन गोरबंध नृत्य का प्रदर्शन किया गया जिस पर दर्शकों ने भी कदमताल निभायी। इससे पहले चरी नृत्य, भवाई नृत्य, घूमर, तेराताली और कालबेलिया नृत्य का प्रदर्शन किया गया। बच्चों एवं बड़ों के लिए खाने पीने की कुछ स्टॉल्स भी रखी गयी थी। बुक लवर्स के लिए बुक स्टॉल भी यहां रखी गयी थी।