जयपुर। शक्ति की आराधना का पर्व गुपत नवरात्र माघ शुक्ल प्रतिपदा आज से शुरू हो रहा है। छोटी काशी के देवी मंदिरों में साफ –सफाई के साथ अन्य तैयारियां पूरी हो चुकी है। इस बार गुप्त नवरात्र में पूरे नौ दिन विभिन्न योग और नक्षत्रों का शुभ संयोग बन रहा है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा, काली और शीतला माता के मंदिरों में शक्ति की आराधना पुण्यकारी और मनोवांछित फल देने वाली है। ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र का पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त पूजा होती है। गुप्त नवरात्र 10 फरवरी से 18 फरवरी तक रहेगी।
नौ दिनों में पांच शुभ योग का संयोग
इन 9 दिनों में पांच रवि योग, दो सर्वार्थ सिद्धि, दो अमृत सिद्धि, एक त्रिपुष्कर रहेंगे। इसके अलावा धनिष्ठा नक्षत्र के साथ वरीयान योग का संयोग बन रहा है। इससे मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने वालों को कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। इन दिनों में पूजा, दान-पुण्य और खरीद-फरोख्त विशेष फलदायी सिद्ध होगी।
प्रतिदिन होगा गायत्री महायज्ञ का आयोजन
आर्ष संस्कृति दिग्दर्शक ट्रस्ट एवं श्री वेदपाल त्यागी चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में भांकरोटा स्थित साईं बाबा मंदिर के पास श्री राम लला मंदिर में नवरात्र के दौरान रामलला को नवान्हपारायण के पाठ सुनाए जाएंगे। धर्म प्रचारक विजय शंकर पांडेय ने बताया …..
वर्ष में होते हैं चार नवरात्र
नवरात्र का पर्व बेहद शुभ और पावन होता है। देवी मां के आशीर्वाद की महिमा इतनी दिव्य है कि वह अपने भक्तों के हर संकट और विपदा को मिटा देती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार नवरात्र मनाई जाती हैं। यह नवरात्र चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ माह में पड़ती हैं। माघ माह की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना करते समय दुर्गा मां का आह्वान किया जाता है। इसे ही घटस्थापना कहा जाता है। गुप्त नवरात्र के दिन घट स्थापना के यह दो मुहूर्त बन रहे हैं, इनमें से किसी भी मुहूर्त के अंतराल में घट स्थापना कर सकते हैं।
ये रहेंगे घट स्थापना शुभ मुहूर्त:
माघ गुप्त नवरात्र पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी को सुबह 8:45 मिनट से सुबह 10:10 मिनट तक कुल अवधि: 1 घंटा 25 मिनट की रहेगी। दूसरा घटस्थापना का शुभ महूर्त दोपहर 12:13 मिनट से लेकर दोपहर 12:58 मिनट तक कुल अवधि: 44 मिनट की रहेगी।
देवी की दस महाविद्याएं
मान्यता है कि मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना करने वाला व्यक्ति भौतिक सुखों को प्राप्त कर बंधन से भी मुक्त हो जाता है।
ये दस महाविद्याएं इस प्रकार है-
काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडषी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी या कमला। मान्यता है कि देवी मां की इन 10 महाविद्याओं की पूजा करने से मनुष्य को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती है।