जयपुर। फाल्गुन की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि रविवार को होली पूर्व फाल्गुन नक्षत्र और रवि योग में मनाई जाएगी। रविवार को सुबह 9:55 से रात्रि 23:13 बजे तक भद्रा है। शास्त्र अनुसार भद्रा यदि अद्र्ध रात्रि से पूर्व समाप्त हो जाती है तो होलिका दहन करना चाहिए। जबकि होली के दिन भद्रा रात्रि 11: 13 बजे तक है जो कि सर्वथा त्याज्य है। इसलिए इस बार एक घंटे 13 मिनट का समय मिलेगा। होलिका दहन मुहूर्त देर रात 11:13 बजे से रात 12:33 बजे तक है। होलिका दहन के लिए अगले दिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पहली तिथि को रंगों से होली खेली जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणो में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं।
धुलंडी पहला चंद्रग्रहण, नहीं लगेगा सूतक
धुलंडी पर चंद्रग्रहण के साथ-साथ मीन राशि में ग्रहण योग का साया रहेगा। यह उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा जो भारतीय समय के अनुसार सोमवार 25 मार्च को सुबह 10: 23 मिनट से शुरू होगा। होली पर साल का यह पहला चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण के साथ-साथ एक विशिष्ट योग भी बनेगा। दरअसल यह योग सूर्य और राहु के युति से बनेगा। ज्योतिष में ग्रहण योग को शुभ नहीं माना जाता है। ग्रहण योग का नकारात्मक प्रभाव कई राशियों के जातकों पर पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि ग्रहण का समापन दोपहर 3 बजकर 02 मिनट पर होगा। भारत में इस चंद्र ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। इस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस के पूर्वी भाग, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में दृश्यमान होगा।