जयपुर। चांदपोल बाजार स्थित ठिकाना मंदिर श्री रामचंद्र जी का 130वां स्थापना दिवस रविवार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। गौरतलब है कि वैशाख शुक्ल पंचमी पर वर्ष 1894 में इस मंदिर में ठाकुर श्री राम चंद्र जी महाराज को स्थापित किया गया था। जयपुर नरेश महाराजा सवाई रामसिंह जी की पत्नी गुलाब कंवर धिरावत माजी ने अपने पति की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
इस मंदिर के निर्माण कार्य में 18 वर्ष 9 महीने और 24 दिन लगे थे। यह मंदिर उत्तरी भारत का सम्पूर्ण राम दरबार का सबसे प्राचीन मंदिर है। मंदिर में विराजमान श्री राम चंद्र जी महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा वर्ष -1894 में वैशाख शुक्ल पंचमी को हुई थी। महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा पंच कटोरी सेवा पद्धति पर की गई है।
मंदिर में शिल्प कार्य है अनूठा
चांदपोल बाजार में स्थित ठिकाना मंदिर श्री राम चंद्र का शिल्प कार्य काफी अनूठा है। मंदिर परिसर में मौजूद विशाल स्तम्भ जिनमें नकाशी की हुई है। नागफनी और सिंघ मुख की छवि स्तम्भ में उकेरी गई है। भित्ति चित्रों का सुंदर कार्य, जिनमें श्री ठाकुर जी को जयपुर के दर्शनीय स्थानों के साथ रामचरितमानस के प्रसंगों को दिखाया गया है।
पांच चौक का विशाल मंदिर
महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित जगमोहन के छत व गर्दनों में श्री विष्णु जी के 24 अवतारों का चित्रण किया हुआ है। ये पांच चौक का विशाल मंदिर है। मंदिर प्रांगण में दक्षिणमुखी हनुमान जी, श्री गुलाबेश्वर महादेव जी शिव पंचायत मंदिर भी यहां बना हुआ है। सिंघासन,चौक चूड़ी उत्तर पद्धति में बने हुए है ताकि मंदिर के सामने के बरामदे से ठाकुर जी के दर्शन किए जा सके।
इसलिए वैशाख शुक्ल पंचमी पर होता है विशेष आयोजन
जयपुर नरेश मानसिंह जी ने वर्ष 1949 यह मंदिर राज पंडित विद्यासागर कन्हैया लाल न्यायाचार्य को दिया था। 130 वर्षों से वैशाख शुक्ल की पंचमी को मंदिर की स्थापना दिवस के रूप में यहां विशेष आयोजन किए जाते है और मंदिर प्रांगण में स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। रविवार को 130 वां स्थापना दिवस पर महंत परिवार द्वारा कार्य भव्य रूप से संपन्न किया जाएगा।
जिसमें भक्तजनों को सोशल मीडिया पर भी दर्शन उपलब्ध कराये जाएगे। महंत नरेंद्र तिवारी ने बताया कि रविवार प्रातः साढ़े दस बजे श्री ठाकुरजी का मंत्र उचारण किया जाएगा। जिसके पश्चात विधि विधान के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा।
दुग्ध,घृत,बुरा,शहद,दही,इत्र,गुलाब,मोगरा,खस, केसर,चंदन,फल,आदि से मिश्रित सुगंधित जल मेवे मिलाया हुआ दूध आदि से अभिषेक करने के बाद ठाकुर जी को रजवाड़ी काल के आभूषण जैसे बलेवाड़ा ,भुज बंद, चुंदड़ी के साफे आदि से श्रृंगार किया जाएगा।
राजसी पीली जरदोजी की पोशाक आदि से ठाकुर जी का श्रृंगार करने के बाद दोपहर दो बजे जन्म आरती की जाएगी। इसके बाद पंजीरी पंचामृत वितरण किया जाएगा। शाम संध्या आरती के बाद स्थापना दिवस का समापन होगा।