जयपुर। हरिनाम संकीर्तन परिवार के तत्वावधान में 494 वीं श्रीमद् भागवत कथा का शुक्रवार को विद्याधर नगर सेक्टर- दो में स्थित माहेश्वरी समाजोपयोगी भवन उत्सव में प्रारंभ हुई। सुबह सेक्टर दो स्थित शिव मंदिर से गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई। यजमान दंपत्ति जहां सिर पर कलश और भागवत पोथी लिए चल रहे थे वहीं कथा व्यास अकिंचन महाराज बग्गी में विराजमान थे। विभिन्न मार्गों से होते हुए कलश यात्रा कथा स्थल उत्सव पहुंची।
व्यासपीठ से अकिंचन महाराज ने राधेश्याम माहेश्वरी और चमेली देवी माहेश्वरी की पुण्य स्मृति में आयोजित कथा के प्रथम दिन भागवत महात्म्य, गोकर्ण उपाख्यान, सृष्टि वर्णन, शुकदेव आगमन और वराह अवतार की कथा का श्रवण करवाया। उन्होंने भागवत भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। तराजू के एक पलड़े में सारे ग्रंथ और दूसरे पलड़े में केवल भागवत रख दी जाए तो भागवत वाला पलड़ा ही भारी रहेगा। भागवत मृत्यु सुधारने वाला महाग्रंथ है। इसके कथन, श्रवण और चिंतन से मन और आत्मा को शांति मिलती है।
कथा प्रसंगों के मध्य मधुर कर्णप्रिय भाव प्रवण भक्ति रचनाओं ने श्रोताओं को बांधे रखा। आयोजक ज्ञान प्रकाश चांडक ने बताया कि आठ जून को दोपहर दो से शाम छह बजे तक कपिल अवतार, शिव शक्ति चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नौ जून को अजामिल उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष समुद्र मंथन, वामन अवतार, 10 जून को अंबरीश चरित्र, मत्स्यावतार, श्री राम कथा, श्री कृष्ण जन्म कथा, नंदोत्सव, 11 जून को श्री कृष्ण की बाल लीला, दामोदर लीला, गोवर्धन पूजन की कथा होगी।
छप्पन की झांकी सजाई जाएगी। 12 जून को राशि रास लीला, कृष्ण का मथुरा गमन, रुकमणी विवाह के प्रसंग होंगे। 13 जून को सुबह आठ से 11 बजे तक सुदामा चरित्र, नव योगेश्वर संवाद, चौबीस गुरुओं की कथा, परीक्षित मोक्ष, शुकदेव विदाई की कथा होगी। दोपहर 12 से एक बजे तक हवन होगा।