जयपुर । जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित जूनियर समर प्रोग्राम (कैम्प) में बच्चों का जोश देखते ही बनता है। अब सिलसिला शुरू हो गया है गुरुओं से सीखे सबक को मंच पर प्रस्तुत करने का। शनिवार को संगीत विधा के प्रतिभागियों ने अपने हुनर से मंच को सजाया। 100 से अधिक बच्चों ने गायन, पियानो, वायलिन, कथक, लोक नृत्य की दी प्रस्तुति। भविष्य के कलाकारों की प्रस्तुति देख बच्चों के परिजनों और कला प्रेमियों के चेहरे पर खुशी छा गयी।
रचनात्मक दुनिया में पहुंचे आगंतुक
रंगायन के बाहर फोयर एरिया में प्रवेश करते ही आगंतुक बच्चों के रचनात्मक संसार में पहुंच गए। फोटोग्राफी एक्सपर्ट संजय कुमावत के निर्देशन में हुनर सीखने वाले प्रतिभागियों की फोटोज की यहां प्रदर्शनी लगायी गयी। इसी के साथ हरिशंकर बालोठिया, मनीषा कुलश्रेष्ठ—अंशु हर्ष—नवीन चौधरी, आशीमा चौधरी के निर्देशन में क्रमश: कैलीग्राफी, क्रिएटिव राइटिंग—आर्ट ऑफ एक्सप्रेशन, मोजेक के गुर सीखने वाले प्रतिभागियों के आर्टवर्क भी यहां प्रदर्शित किए गए।
रंगायन में गायन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। नन्हें सुर साधकों ने सधे स्वरों में भजन व फिल्मी गीत गाए। पौने नौ मात्रा में निबद्ध गणेश वंदना से उन्होंने सुरीले सफर की शुरुआत की। ‘जानकी नाथ सहाय करे’ उन्होंने माहौल को आध्यात्मिक बनाया। गुरु डॉ. गरिमा कुमावत ने भी बच्चों के साथ मंच साझा किया। सुनील सिंह तंवर ने तबला और राजेंद्र मेवाल ने हारमोनियम पर संगत की।
इसके बाद नन्हें कलाकारों ने पियानो पर अंगुलियों की अठखेलियां दिखाई। उन्होंने सूरज की गर्मी, नानी तेरी मोरनी को मोर ले गया, लकड़ी की काठी, बिलीवर आदि गीतों की धुन बजाई। प्रशिक्षक प्रदीप चतुर्वेदी और सहायक प्रशिक्षक डॉ. रघुवंश मणि चतुर्वेदी ने बच्चों की हौसला अफजाई की, फतेह मो. ने तबले पर संगत की।
वायलिन पर शास्त्रीय रागों की साथ बच्चों ने फिल्मी धुन बजाई। प्रशिक्षक गुलजार हुसैन ने बताया कि बच्चों मध्य तल, तीन ताल में निबद्ध राग भूपाली से आगाज किया। द्रुत लय में ताने, तिहाई, झाला के बाद उन्होंने ‘दिल है छोटा सा छोटी सी आशा’ गीत की मधुर धुन बजाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद बच्चों ने नृत्य कर सभी का दिल जीता। गुरु वंदना के साथ बच्चों ने जयपुर घराने के शुद्ध कथक की शुरुआत की। उन्होंने तत्कार, पलटे, आमद, परण, चक्करदार भी पेश किए।
नृत्य गुरु चेतन जवड़ा पढ़ंत करते नजर आए। हारमोनियम व गायन पर रमेश मेवाल, तबले पर आदित्य सिंह राठौड, सारंगी पर अमीरुद्दीन ने व वायलिन पर मनभावन डाँगी ने संगत की। इसके बाद बच्चों ने लोक नृत्यों के लालित्य की छठा बिखेरी। ‘ओ नटवर नानो रे’ गीत पर गरबे से उन्होंने कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। नाचे गौरी, बाजे रै रंगीलो रंग रसिया गीत पर नन्हें कदमों का थिरकता देख दर्शक भी झूमने लगे।
कैम्प में लोकनृत्य गुरु राजेन्द्र कुमार राव ने लोक नृत्य की सीख बच्चों को दी। गायन पर राजेंद्र जड़ेजा, सह गायन पर प्रियंका, राघवी व माधवी तथा ढोलक पर संजय सिद्धू ने व तबले पर दिनेश खींची ने संगत की।