जयपुर। ज्येष्ठ पूर्णिमा शनिवार, 22 जून को शुक्ल योग और ब्रह्म योग में मनाई जाएगी। मंदिरों में ठाकुरजी को धवल पोशाक धारण कराकर सफेद व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। सफेद पुष्पों से ही ठाकुरजी का श्रृंगार किया जाएगा। यज्ञ के ज्ञान विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शनिवार को गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान के अंतर्गत हवन कराए जाएंगे। गायत्री परिवार राजस्थान के प्रभारी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि 22 जून को सुबह साढ़े सात बजे हवन प्रारंभ हो जाएगा। नए परिवारों में हवन करवाने पर जोर रहेगा। यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति निर्माण और परिवार निर्माण के सूत्र दिए जाएंगे। यज्ञ की पूर्णाहुति में पेड़ लगाने का संकल्प कराया जाएगा।
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर श्रीजी और राधा रानी का एक साथ जुगल अभिषेक होगा। वर्ष में केवल एक बार ही इसी दिन ठाकुरजी और राधा रानी का एक साथ अभिषेक होता है। श्री माध्व गौड़ीय संप्रदाय में इस जुगल अभिषेक दर्शन बहुत ही दुर्लभ बताया गया है। पूर्णिमा को मंगला झांकी का समय सुबह पौने पांच से सवा पांच बजे तक रहेगा।
गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में दोपहर साढ़े बारह बजे जल यात्रा झांकी के नियमित दर्शन होंगे। ठाकुरजी और राधा रानी सफेद सूती पोशाक में पुष्प श्रृंगार में दर्शन देंगे। पांच मिनिट बाद झांकी के पट मंगल होंगे। इस अवधि में ज्येष्ठाभिषेक की तैयारी की जाएगी। दुबारा पट खुलने पर ठाकुरजी को पांच तरह के फल, पांच तरह का दाल बिजोना, पंच मेवा, ठंडाई और लड्डू का भोग लगाया जाएगा। जुगलवर के अभिषेक के दौरान चांदी की होदी को आगे से टाटी से ढक दिया जाएगा जिससे ठाकुरजी और राधा रानी के केवल मुखारविंद के ही दर्शन होंगे। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सुगंधित शीतल जल से जुगलवर का अभिषेक करेंगे। इस दौरान मंदिर के सेवायतन मंत्रोच्चार करेंगे।
बदलेगा ठाकुरजी का सिंहासन:
ज्येष्ठाभिषेक के साथ ही ठाकुरजी का जल यात्रा उत्सव संपन्न होगा। इसी दिन से ठाकुरजी का सिंहासन भी बदल दिया जाएगा। अभी ठाकुरजी चांदी की होदी का सिंहासन पर विराजमान है। एकम् से ध्वज पताका सिंहासन पर आरूढ़ होंगे।
भगवान जगन्नाथ करेंगे सहस्रधारा स्नान: ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा से वैवस्वत मन्वंतर की शुरुआत हुई थी। अभी यही मन्वंतर चल रहा है। इसमें विष्णु राम, कृष्ण और बुद्ध के रूप में प्रकट हुए हैं। इस पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ सहस्रधारा स्नान करेंगे। इसके बाद 15 दिन तक उनकी ज्वर लीला चलेगी। मंदिरों में भगवान का विशेष उपचार चलेगा और वे दर्शन नहीं देंगे। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मंदिरों में जल विहार की झांकी सजाई जाएगी। गोशालाओं में दान पुण्य किया जाएगा।
शिवालयों में होगा गलंतिका विसर्जन:
छोटीकाशी के शिव मंदिरों में वैशाख पूर्णिमा को भगवान शिव को गलंतिका (एक मटकी जिसमें से बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है) अर्पित की थी। एक माह बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा को इस गलंतिका का विसर्जन किया जाएगा। छोटीकाशी के एक हजार से अधिक मंदिरों में शिवलिंग पर गलंतिका रखी गई थी। गलंतिका विसर्जन वैदिक विधान से किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि बताया कि शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जो दान-पुण्य किया जाता है, वह अक्षय हो जाता है। यह दिन भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी को समर्पित है।
लक्ष्मीनारायण का किया ज्येष्ठाभिषेक
जयपुर। सूरजपोल गेट बाहर स्थित मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण जी में शुक्रवार को ज्येष्ठाभिषेक उत्सव-2024 मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण को रंग –बिरंगे फूलों से सजाया गया और मंदिर प्रांगण में आकर्षण रंगोली बनाई गई।
स्वामी त्रिविक्रमाचार्य महाराज के सान्निध्य में ठाकुरजी का वेद मंत्रोच्चार के साथ जलाभिषेक किया गया। शाम को आरती, तीर्थ गोष्ठी और प्रसादी हुई।