December 23, 2024, 2:43 am
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पेपर लीक मामले में एसओजी को तीन माह में मिली 2670 शिकायतें

जयपुर। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) पेपर लीक मामले में लगातार नित नए खुलासे कर रही है। पिछले तीन माह में एसओजी द्वारा जारी हेल्पलाइन नम्बर पर 2970 शिकायतें मिल चुकी है। इनमें से 900 शिकायतों को वेरीफाई किया जा चुका है। वेरिफाई लोगों की सूची बनाकर सरकार और सम्बंधित विभागों को भेजा जा चुका है। अब इनके खिलाफ विभाग आवश्यक कार्यवाही करेंगे। सबसे ज्यादा शिकायतें पश्चिमी राजस्थान से मिल रही है।

एडीजी एसओजी वीके सिंह ने बताया कि लोग एसओजी को फोन कर शिकायत बता रहे कि पड़ोस में युवक गलत तरीके से पेपरलीक करके नौकरी पर लग गया है। लोगों ने शिकायत में पूरी डिटेल के साथ ऐसे लोगों का रिकॉर्ड भेजा है। उनकी डिटेल भी शेयर की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान से उनके पास बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं। ऐसी शिकायतों को वेरिफाई करके रिकॉर्ड में जांच पर लिया जा रहा है। ऐसे लोगों का भी विभागों से रिकॉर्ड शेयर कर चेक कराया जा रहा है।

गार्गी पुरस्कार मिल चुका है छम्मी विश्नोई को

एडीजी ने बताया कि एक दिन पहले पकड़ी गई गिरोह की छम्मी बिश्नोई गार्गी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी है। छम्मी पढ़ने में काफी होशियार थी। इसलिए नकल गिरोह गैंग ने उसे लालच देकर डमी कैंडिडेट बनाने के लिए गैंग में शामिल कर लिया। पहला गार्गी पुरस्कार भी उसे मिला था। शिक्षक भर्ती में वह टीचर बन गई थी। इसके बाद रुपयों के लालच में आकर वह नकल गिरोह गैंग के संपर्क में आ गई। छम्मी डमी कैंडिडेट के रूप में एग्जाम में बैठती थी। शुरुआत में छम्मी 5 लाख से लेकर 7 लाख रुपए तक लेती थी। बाद में नकल गिरोह से डिमांड बढ़ने लगी तो वह 10 लाख से भी ज्यादा लेने लग गई थी। पिछली कुछ भर्तियों में उसने 20 लाख रुपए तक लिए थे। 2021 में छम्मी बिश्नोई डमी कैंडिडेट के रूप में एग्जाम देने के लिए गई थी। उस दौरान उसके खिलाफ बालोतरा में मुकदमा दर्ज हो गया था। तब से वह फरार चल रही थी।

नकल के रुपए से डूंगरी गांव में प्लॉट लेकर चार मंजिला लग्जरी मकान भी बनाया था। छम्मी का पति गणपत स्कार्पियो चलाता है। कोई नौकरी भी नहीं करता है। चार मंजिला मकान किराए पर दे रखा है, जिसमें ज्यादातर सरकारी टीचर ही रहते हैं। इनसे किराए का पूरा लेनदेन खुद गणपत ही करता है। फरार होने के बाद छम्मी बिश्नोई वृंदावन में रहने लगी थी। 6 हजार रुपए में उसने किराए का कमरा ले रखा था। पुलिस की टीम जब वहां पर पहुंची थी तो आरती करती हुई मिली थी। वहीं से पहचान करने के बाद उसे पकड़ा गया था। छम्मी के मोबाइल की कॉल डिटेल और वॉट्सऐप चौटिंग से एसओजी को कई खुलासे होने की उम्मीद है।

जालोर, सिरोही, भीलवाड़ा के साथ-साथ उदयपुर में बड़ा नेटवर्क

एडीजी एसओजी वीके सिंह ने बताया कि नकल गिरोह ने टीएसपी एरिया को भी अपना गढ़ बनाया है। बांसवाड़ा से बहुत बड़े स्तर पर पेपरलीक करवा कर लोगों को नौकरी पर लगवाया गया है। टीएसपी एरिया से नौकरी पर लगे लोगों के डॉक्युमेंट और रिकॉर्ड चेक कराए जा रहे हैं। ओमप्रकाश ढाका का जालोर, सिरोही, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा के साथ-साथ उदयपुर में भी बड़ा नेटवर्क बना हुआ था। बांसवाड़ा में हाल ही में कार्रवाई भी की गई है। जांच में पता लगा कि केवल एसआई ही नहीं बल्कि राजस्थान में कई पेपर लीक कराने में इस गिरोह का हाथ रहा है। नकल गिरोह ने हाल ही में डीईओ की शिकायत करके एपीओ करा दिया था। इसका कारण डीईओ का एसओजी की मदद करना था। सच पता लगने पर तीन दिन के बाद सरकार ने उन्हें वापस बहाल कर दिया।

ओमप्रकाश ढाका होलसेलर के तौर पर काम करता है। पेपर लीक मास्टरमाइंड जगदीश विश्नोई के साथ मिलकर पेपर लीक कराता था और नकल कराता था। ओमप्रकाश की पहले उदयपुर में टीचर की नौकरी लगी थी। पेपर लीक में उसका नाम आया तो उसे गिरफ्तार किया गया था। काफी समय से सस्पेंड चल रहा था। बड़े लेवल पर पेपरलीक करवाकर सेंटर पर कैंडिडेट को दिलाता था। टीम ने बताया कि ओमप्रकाश ढाका ने कितने लोगों को नौकरी लगवा दी है, उसे खुद को नहीं पता है।

ओमप्रकाश ढाका हर भर्ती में होलसेलर के रूप में एक साथ सौ से ज्यादा युवकों से डील करता था। किसी भी होने वाली भर्ती के लिए गारंटी के साथ डील करता था। रीट में ओमप्रकाश आरोपी है। तब से फरार चल रहा था। हर भर्ती के पेपर के लिए अलग-अलग दाम सेट कर रखे थे। 5 लाख से लेकर 15 लाख रुपए तक लिए जाते थे। इतना ही नहीं हर इलाके के लोगों के लिए अलग से रुपए लिए जाते थे। जांच में पता लगा है कि एसआई भर्ती के अलावा रीट भर्ती, पीटीआई भर्ती, लाइब्रेरी भर्ती, एलडीसी, वनपाल और वनरक्षक भर्ती के भी पेपर बड़े स्तर पर लीक करा चुका है।

ओमप्रकाश ढाका और सुनील के गुरु जगदीश बिश्नोई फार्म हाउस पर ही रहते थे। ये फार्म हाउस जगदीश बिश्नोई का था। इसी फार्म हाउस पर सुनील भी रहता था। सुनील भी जगदीश बिश्नोई के साथ पेपर लीक कराने में शामिल था। कैंडिडेट्स को फार्म हाउस पर लेकर आते थे। यहां उन्हें पेपर में आने वाले सवालों के जवाब रटाए जाते थे। फिर उन्हें परीक्षा देने के लिए भेज दिया जाता था।

5 साल में नौकरी पाने वालों का दोबारा से होगा वेरिफिकेशन

एडीजी वीके सिंह ने बताया कि पकड़े गए नकल गिरोह से कई इनपुट मिले हैं। नकल गिरोह की मदद से कई लोग नौकरी पाए हैं। इन सभी का रिकॉर्ड चेक कराया जा रहा है। इनकी डिटेल मिलने के बाद कार्मिक विभाग और सरकार को डिटेल के साथ लेटर लिखा है। कार्मिक विभाग ने सभी विभागों को भी लेटर लिखे हैं, जिनमें बताया गया है कि पिछले 5 साल में जो भी नौकरी पर लगे हैं, उनका दोबारा से रिकॉर्ड चेक करवा कर वेरिफिकेशन किया जाएगा। पेपर देते समय फोटो और फॉर्म भरते समय फोटो में अगर मिलान नहीं हुआ या फिर हस्ताक्षर अलग हुए तो उनकी जांच की जाएगी। ऐसे सभी नौकरी पर लगे हुए लोगों से जांच करते हुए पूछताछ की जाएगी।

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