जयपुर। ऐंठी हुई या बढ़ी हुई नसें, जो आमतौर पर पैरों और तलवों में दिखती हैं, उन्हें वैरिकोज वेन्स या अवरुद्ध नसें कहा जाता है। सामान्य तौर पर यह शरीर में खून के संचार में होने वाली किसी मूल समस्या का संकेत होती हैं। अन्य मामलों में ये भयंकर दर्द और असहनीय परेशानी का सबब भी हो सकता है जो कैंसर का द्योतक है। कई लोगों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते या कईयों के काफी देर में पता चलते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज लंबे मोजे (कंप्रेशन स्टॉकिंग), व्यायाम या नसों को टाइट बांधकर थोड़े समय के लिए आराम तो पा लेता है लेकिन यह कोई स्थायी इलाज नहीं है।
चिंता का विषय यह है कि केवल बुजुर्ग ही नहीं अब युवा भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं और शरीर के किसी भी हिस्से में यह समस्या हो सकती है। शहरों के साथ—साथ गांवों में भी यह समस्या पैर पसारने लगी है। सही समय पर इलाज न मिले तो वैरिकोज वेन्स अल्सर, रक्त के थक्के या कैंसर जैसी अन्य गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकती हैं। वैरिकोज वेन्स से पीड़ित मरीज अपने चलने फिरने की क्षमता तक खो सकता है या फिर पैरेइज का शिकार भी हो सकता है।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के एक्सपर्ट डॉ. निखिल बंसल ने बताया कि वेरीकोज वेन्स की समस्या तब उत्पन्न होती है जब नसों के भीतर के वाल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे रक्त जमा हो जाता है, नसें सूज जाती है और टेढ़ी-मेढ़ी होने लगती है। हालांकि ये समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकते हैं। खड़े होने और पैदल चलने से नसों पर बढ़ते दबाव के कारण ये समस्या आमतौर पर पैरों में दिखाई देते हैं। ऐसा बढ़ती उम्र, गर्भावस्था और मोटापा यानी बढ़ते वजन से हो सकता है।
डॉ. निखिल बंसल ने बताया कि जटिल वैरिकोज वेन्स के लिए इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी एक कारगर एवं असरदार और लंबे समय तक टिकने वाला उपचार है। इस तकनीक में न तो कोई चीर फाड़ है और न ही कोई टांका। रिकवरी किसी भी ऑपरेशन के मुकाबले काफी फास्ट है। इस ट्रीटमेंट में एक दिन में डिस्चार्ज मिल जाता है और अगले दो से तीन दिन में आप अपनी दैनिक दिनचर्या फिर से शुरू कर सकते हैं। इसमें सफलता का प्रतिशत 85 प्रतिशत से भी अधिक है। जल्द ही वैरिकोज वेन्स की समस्या के प्रति आमजन को के इलाज और सतर्कता बरतने के लिए कैंप का आयोजन किया जाएगा।