November 21, 2024, 10:04 pm
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श्री गणेश जन्मोत्सव: गणेश चतुर्थी को राजशाही पोशाक सहित स्वर्ण मंडित मुकुट का रहेगा विशेष आकर्षण

जयपुर। ब्रह्मपुरी माऊण्ट रोड़ पर स्थित अतिप्राचीन श्री नहर के गणेशजी महाराज के मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी त्रिदिवसीय श्री गणेश जन्मोत्सव छह, सात और आठ सितम्बर 2024 को मनाया जाएगा । त्रिदिवसीय श्री गणेश जन्मोत्सव में इस बार सिंजारे को लहरिया पौषाक सहित असंख्य मोदक झाँकी तथा गणेश चतुर्थी को राजशाही पौषाक सहित स्वर्ण मंडित मुकुट विशेष आकर्षण का रहेगा।

मंदिर युवाचार्य पंडित मानव शर्मा ने बताया कि यह उत्सव मंदिर महंत पंडित जय शर्मा के सान्निध्य में मनाया जाएगा। सर्व प्रथम बुधवार को शुभ मुहूर्त में ध्वज पूजन होकर शिखर पर स्थापित किया जाएगा। तापश्चात पांच व छह सितम्बर 2024 को गणपति का वर्ष में एक बार पारंपरिक रूप से महंत परिवार द्वारा किया जाने वाला संपूर्ण सिंदूर चोला एवं विशिष्ट पन्नियों का श्रृंगार किया जाएगा अतः इस अवसर पर परंपरागत दो दिन पट मंगल रहेंगे। गणपति की पूजा अर्चना बाहर जगमोहन में चित्र विराजित कर की जाएगी।

छह सितम्बर की शाम पांच बजे से सिंजारा महोत्सव में भक्तजन नवीन चौले सहित विशेष रूप से बनाई गई लहरिया पौषाक एवं साफे में असंख्य मोदकों की झाँकी के साथ दर्शन कर सकेंगे । इसके अलावा गणपति भगवान की सिंजारा पूजन में शाम सवा पांच बजे मेहंदी अर्पण कर आरती की जाएगी। शाम साढ़े पांच बजे से प्रेमभाया सत्संग मण्डल द्वारा भजन व पद गायन से सिंजारा मनाया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर में आने वाले भक्तजनों को सौभाग्यदायक मेंहदी एवं सुख -समृद्धिकारक नवीन चौले की सिन्दूर वितरित की जाएगी।

श्री गणेश जन्मोत्सव का मुख्य उत्सव सात सितम्बर को सुबह पांच बजे मंगला आरती के साथ प्रारंभ होगा जिसमें प्रभु गणपति स्वर्णमंड़ित मुकुट के साथ विशेषरूप से आरी -तारी,गोटा पत्ती,रंगबिरंगे नगों से बनी राजशाही पौषाक में भक्तों को दर्शन देंगे। तत्पश्चात सुबह सवा सात पर नियमित आरती होगी एवं सुबह सवा नौ बजे श्री गणपति अष्टोत्तरशत नामावली द्वारा गजानन्द जी को दूर्वा समर्पण किए जाएँगे।

वहीं सवा ग्यारह बजे से दोपहर सवा बजे के मध्य श्री गणेश जन्मोत्सव पूजन होगा। जिसमें गणपति का पंचामृत अभिषेक कर षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। गुड़धानी, मोदक,चूरमा,मेवा मिष्ठान,भोग लगाकर कर प्रभु को डंके अर्पित किये जाएंगे । इसके अलावा सायंकालीन महाआरती के पश्चात मंदिर में बैंड वादन, आतिशबाजी की जाएगी एवं भजन मंडली द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।

दर्शन देर रात्रि शयन आरती तक होंगे । इस शुभ अवसर पर मंदिर व मंदिर परिसर पर आकर्षक विद्युत सजावट भी मुख्य आकर्षण होगा । आठ सितंबर को मंदिर में ऋषि पंचमी का पारंपरिक उत्सव मनाया जाएगा। जिसमें प्रदोष काल में सप्त ऋषियों का पूजन-अर्चन मंदिर परिवार द्वारा किया जाएगा और सप्त ब्राह्मणों का सम्मान किया जाएगा ।

त्रिदिवसीय उत्सव में भक्तजनों की सुरक्षार्थ मंदिर के सेवक कार्यकर्ताओं सहित पैट्रोन डिटेक्टिव कंपनी के गार्ड की सेवाएं रहेंगी। साथ ही सीसीटीवी कैमरे, सहायता केन्द्र,जूता-चप्पल स्टैंड,पानी की प्याऊ,डॉक्टर टीम, की व्यवस्था के साथ-साथ महिला -पुरुषों की अलग -अलग रेलिंग बनाकर दर्शनों की सुचारू रूप से व्यवस्था की जाएगी। मुख्य द्वार से दर्शनों के लिए प्रवेश हेतु कूपन व्यवस्था भी की जाएगी।

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