जयपुर। दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों का रोट तीज पर्व शुक्रवार 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। इस मौके पर मंदिरों में तीन चौबीसी पूजा विधान का आयोजन होगा । घरों में रोट खीर बनाकर अन्य धर्मों के लोगों, मित्रों को खिलाया जाएगा। राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार इस त्यौहार का बडा महत्व है। शुक्रवार को श्रद्धालुओं द्वारा रोट, घी, बूरा एवं तुरई का रायता बनाया जाएगा।
विनोद जैन ने बताया कि भाद्रपद शुक्ला तृतीया (तीज) को 72 कोठे का मण्डल मांडकर चौबीस महाराज की तीन चौबीसी पूजा विधान की जाएगी। इस पूजा विधान से लक्ष्मी अटल रहती है। इस दिन महिलाओं द्वारा रोट तीज का व्रत एवं उपवास भी किया जाता है।
दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों के साथ षोडशकारण एवं मेघमाला व्रत बुधवार 18 सितम्बर तक चलेगे । रविवार 8 सितम्बर से दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ होगें जो मंगलवार 17 सितम्बर तक चलेगे ।इस दौरान दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन होगें ।जैन धर्म में उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव,उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रम्हचर्य सहित धर्म के 10 लक्षण होते हैं। इन दस दिनों में प्रातः से जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजा, मुनिराजो की विशेष प्रवचन श्रृंखला, श्रावक संस्कार साधना शिविर, महाआरती, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
धर्मावलंबी तीन दिन, पांच दिन, आठ दिन, दस दिन, सोलह दिन, बत्तीस दिन सहित अपनी क्षमता एवं श्रद्धानुसार अलग-अलग अवधि के उपवास करते हैं। जिसमें निराहार रहकर केवल मात्र एक समय पानी लेते हैं। शुक्रवार, 13 सितम्बर को सुगन्ध दशमी मनाई जाएगी । मंगलवार 17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी एवं दशलक्षण समापन कलश होगें ।बुधवार 18 सितम्बर को षोडशकारण समापन कलश एवं पड़वा ढोक क्षमा वाणी पर्व मनाया जाएगा । इस मौके पर वर्ष भर की त्रुटियों एवं गलतियों के लिए आपस में क्षमा मांगेंगे, खोपरा मिश्री खिलाएंगे।