जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की स्वगृही नाट्य प्रस्तुति ‘श्री रामलीला महोत्सव’ में अभिनय, आस्था और आत्मीय भावना का सिलसिला चौथे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अशोक राही के निर्देशन में हो रही रामलीला में विभीषण के राम की शरण में जाना, राम समुद्र संवाद, अंगद की रावण को चुनौती, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध का दृश्य मंच पर साकार हुआ। पांच दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव का शनिवार को अंतिम दिन है।
कथक की मनमोहक प्रस्तुति के साथ शुरुआत हुई। लंका में राम नाम का डंका बजाकर वापस लौटे हनुमान ने सीता की कुशलक्षेम का मंगल संदेश राम को सुनाया तो उन्होंने बजरंगी को गले लगा लिया। यह दृश्य देखकर सभी भावुक हो उठे। यह मजबूत निर्देशन की बानगी रही कि दोनों की बताचीत के बीच सीता के संवादों ने एकाएक सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
शरणागत रक्षा का संदेश
इधर राम ने राहत की सांस ली उधर अपने अनुज विभीषण से राम का बखान सुनकर रावण आग-बबूला हो उठा। अहंकार वश विभीषण को राज्य से निकाल दिया गया। करुणा सिंधु राम ने विभीषण को गले लगाकर शरणागत की रक्षा का संदेश दिया।
राम जी की सेना चली..
समस्त विपत्तियों के बावजूद अब तक विनम्रता और शालीनता से काम ले रहे राम का धैर्य उस वक्त जवाब दे गया जब आग्रह करने के बाद भी समुद्र ने उन्हें रास्ता ना दिया। उनका आक्रोश देख रत्नाकर थर्रा उठे। प्रभु चरणों में वंदन कर उन्होंने सेतु निर्माण की राह दिखायी। वानर सेना ने सेतु बांधा। ‘राम जी को संग ले, वेग ले-उमंग ले, राम जी की सेना चली’ गीत ने सभी में जोश भर दिया।
लक्ष्मण ने रखा ब्रह्म शक्ति का मान
रावण के दरबार में पहुंचकर अंगद ने राम नाम का डंका बजा दिया। इस दौरान हास्य व युद्ध के दृश्यों का बखूबी संयोजन किया गया। अंगद के संवादों में अवधी और हिंदी भाषा का लालित्य भी दिखा। इसके बाद लक्ष्मण और इंद्रजीत के युद्ध को देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। ब्रह्म शक्ति का मान रख सहर्ष उसका सामना करने के बाद मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर निकले राम के आंसुओं ने सभी की आंखें नम कर दी। हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए तो मध्यवर्ती में गगनचुंबी घोष सुनाई दिया ‘सिया वर रामचंद्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय।’