जयपुर। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2550 वां निर्वाणोत्सव पूर्ण होने जा रहा है। शुक्रवार 1 नवंबर को भगवान महावीर के 2551 वें निर्वाण महोत्सव की मंगल बेला प्रारंभ होगी और यह वर्ष भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाण महोत्सव वर्ष कहलाएगा।
राजस्थान जैन सभा जयपुर के तत्वावधान में सकल जैन समाज की ओर से इस 2551 वें निर्वाण महोत्सव अहिंसा पर्व वर्ष का उदघाटन समारोह गुरुवार को नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्टारक जी की नसिंया में आयोजित किया गया। उदघाटन समारोह में राज्यपाल हरीभाऊ बागडे मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। वहीं समाजश्रेष्ठी सुधान्शु कासलीवाल, उमराव मल संघी एवं प्रमोद पहाड़िया विशिष्ट अतिथि बन कर समारोह में पहुंचे ।
तोतूका सभागार में दोपहर 2 से साढ़े 3 बजे आयोजित हुए कार्यक्रम में राज्यपाल हरीभाऊ बागडे ने कहा है कि भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह और मानव मात्र ही नहीं जीव जंतुओं तक के प्रति करूणा रखते कार्य करने का जो संदेश दिया वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने ‘अहिंसा’ पर्व पर उनके जिएं और जीने दो के संदेश से सीख लेते हुए सभी को मानवता के लिए कार्य किए जाने पर जोर दिया।
राज्यपाल बागडे ने जैन धर्म में तीर्थंकरों की परम्परा की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने युगीन संदर्भों में जीवन के आदर्श की राह दिखाई। उन्होंने कहा कि उनके अहिंसा, अपरिग्रह एवं अनेकांत के आचरण को अपनाने, सभी के प्रति मन—वन कर्म से शुद्ध रहते जीवन जीने की उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
इससे पहले राजस्थान जैन सभा के अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन ने ‘अहिंसा पर्व’ मनाए जाने की कार्ययोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल ने आरंभ में जैन मुनिगण को प्रणाम निवेदित कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव को ‘अहिंसा पर्व’ रूप में मनाने की पहल की सराहना की।