April 24, 2025, 1:08 pm
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आंवला नवमी आज: पूजन के साथ करेंगे दान-पुण्य

जयपुर। कार्तिक शुक्ल नवमी रविवार को अक्षय नवमी और आंवला नवमी के रूप में मनाई जाएगी। उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा कर परिक्रमा करेंगी। आंवला नवमी की कथा सुनेंगी। धार्मिक मान्यता है कि आंवले की पूजा करने से भगवान विष्णु जी और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। पूजा-पाठ के साथ आंवले का दान भी किया जाएगा। अक्षय नवमी पर घर के मंदिर में लक्ष्मी-नारायण की भी पूजा करें। भगवान विष्णु मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप करते हुए लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक करें। पर्यावरण गतिविधि राजस्थान के संयोजक अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि आंवला नवमी प्रकृति का सम्मान करने का संदेश देता है। पेड़-पौधों से ही हमारा जीवन है और हमें इनकी पूजा करनी चाहिए यानी इनकी रक्षा करनी चाहिए।

यह है पौराणिक कथा:-

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि अक्षय या आंवला नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी पर देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ ही शिव जी पूजा करना चाहती थीं। देवी लक्ष्मी ने सोचा कि विष्णु जी को तुलसी प्रिय है और शिव जी को बिल्व पत्र प्रिय है। तुलसी और बिल्व पत्र के गुण एक साथ आंवले में होते हैं। ऐसा सोचने के बाद देवी लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को ही भगवान विष्णु और शिव जी का स्वरूप मानकर इसकी पूजा की। देवी लक्ष्मी की इस पूजा से विष्णु जी और शिव जी प्रसन्न हो गए। विष्णु जी और शिव जी देवी लक्ष्मी के सामने प्रकट हुए तो महालक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे ही विष्णु जी और शिव जी को भोजन कराया।

इस कथा की वजह से ही कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले की पूजा करने की और इस पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने परंपरा है। एक मान्यता ये भी है कि अक्षय नवमी पर महर्षि च्यवन ने आंवले का सेवन किया था। आंवले के असर से च्यवन ऋषि फिर से जवान हो गए थे।

आंवला स्वास्थ्य के लिए लाभकारी:

डॉ. बी एल बराला ने बताया कि आयुर्वेद में कई रोगों को ठीक करने के लिए आंवले का इस्तेमाल किया जाता है। आंवले का रस, चूर्ण और मुरब्बा ये सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। आंवले के नियमित सेवन से अपच, कब्ज, गैस जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।

ऐसे करें आंवले की पूजा

ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि आंवला नवमी पर किसी आंवला वृक्ष के आसपास साफ-सफाई करें। आंवले की जड़ में शुद्ध जल चढ़ाएं। थोड़ा सा कच्चा दूध अर्पित करें। कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, चावल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई चढ़ाएं। आंवले के तने पर कच्चा सूत लपेटें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। आंवले की परिक्रमा करें।

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