जयपुर। न्यायालय में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखकर 1 जून 2002 के पश्चात दो से अधिक संतान वाले कार्मिकों की पदोन्नति का रास्ता खोलने के लिए अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी से मुक्त महासंघ एकीकृत में आभार व्यक्त किया है। लेकिन एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता,मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव को ज्ञापन देकर चयनित वेतनमान के डेफर्ड प्रकरणों में भी छूट देने की मांग की है।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 16 मार्च 2023 की अधिसूचना के द्वारा 1 जून 2002 के पश्चात 2 से अधिक संतान उत्पन्न करने पर ऐसे कार्मिकों की पदोन्नति 3 वर्ष पश्चात करने के प्रतिबंध से मुक्त कर दिया और उनकी मूल वरिष्ठता के आधार पर रिव्यू कर उनको पदोन्नति करने के आदेश जारी कर दिए। ऐसे कार्मिकों की पदोन्नतियां हो भी रही है। परंतु अनेक ऐसे छोटे विभाग हैं। जहां कार्मिकों की कम संख्या के कारण पदोन्नति के पद उपलब्ध नहीं है। कार्मिकों को एसीपी का ही लाभ मिल पाता है। लेकिन कार्मिक विभाग द्वारा ऐसे प्रकरण में एसीपी में लगाया गया 3 वर्ष का प्रबंध नहीं हटाया गया है । अतः एसीपी पर भी लगा प्रतिबंध हटाया जाए।
राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि कम संख्या वाले विभागों को पदोन्नति आदि प्रकरणों में बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है अधिकांश केडर रिव्यू तथा सरकारी आदेश बड़े विभागों की दृष्टि से ही निकाले जाते हैं तथा छोटी विभागों के कर्मचारियों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता है। इसी कारण समान बेच के छोटे एवं बड़े विभागों की पदोन्नति में बहुत ज्यादा अंतर हो जाता है। इसी प्रकार दो से अधिक संतान वाले कार्मिकों को एसीपी में नुकसान हो रहा है जबकि इससे किसी की वरीयता भी प्रभावित नहीं हो रही।
सरकार को तत्काल ऐसे लोगों की एसीपी पर लगा प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए। इससे एक तरफ जहां बड़े विभागों में कर्मचारी पदोन्नत हो रहे हैं वहीं छोटे विभागों में कर्मचारी एसीपी का लाभ भी नहीं ले पा रहे हैं। महासंघ के शिष्य मंडल में शिष्ट मंडल में गजेंद्र सिंह राठौड़, देवेंद्र सिंह नरूका, ओमप्रकाश चौधरी, शेर सिंह यादव, प्रकाश यादव, महेश शर्मा प्रभु दयाल नील, राहुल यादव आदि कर्मचारी नेता शामिल थे।