February 5, 2025, 9:41 am
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भागवत में सभी ग्रंथों का सार समाहित: अकिंचन महाराज

जयपुर। धनु मलमाल से जगह-जगह भागवत कथाओं के आयोजन हो रहे हैं। शीत लहर के मौसम में श्रद्धालु कथा की गर्माहट का आनंद ले रहे हैं। इसी कड़ी में हरिनाम संकीर्तन परिवार की 498वीं श्री मद्भागवत कथा मंगलवार को कलश यात्रा के साथ सीकर रोड स्थित पलासरा में शुरू हुई। व्यासपीठ से अकिंचन महाराज ने रसमयी वाणी में कथा का श्रवण करवाते हुए कहा कि पलड़े के एक तराजू में समस्त धर्म ग्रंथों को रखा जाए और दूसरे पलड़े में केवल भागवत जी को रखा जाए तो भागवत जी वाला पलड़ा ही भारी रहेगा।

क्योंकि जो भागवत में है वही इन ग्रंथों में है। जिस प्रकार दूध का सार घी, फूलों का सार शहद होता है उसी प्रकार धर्म ग्रंथों का सार भागवत जी है। जो केवल भागवत जी का अध्ययन और श्रवण करता है उसे सभी धर्म ग्रंथों के अध्ययन का पुण्य प्राप्त हो जाता है। भागवत जी कथा का श्रवण देवताओं को भी दुर्लभ है। संसार में सत्य, दया, तप होते हुए भी मन को शांति भागवत जी से ही मिलती है। ज्ञान और वैराग्य भागवत जी के श्रवण से ही पुष्ट होते हैं।

इससे पूर्व कथा की यजमान संतरा देवी, मुन्नी देवी, द्रोपदी देवी एवं अन्य ने व्यासपीठ का पूजन कर भागवत जी की आरती उतारी। आयोजन से जुड़े सुभाष गुप्ता ने बताया कि कथा 30 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह 11 से शाम चार बजे तक होगी।

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