जयपुर। एयू फाउंडेशन, राजस्थान पर्यटन विभाग, राजस्थान युवा बोर्ड, जवाहर कला केंद्र और अभ्युत्थानम वेलफेयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में हो रहे नन्हे कलाकार फेस्टिवल के चौथे संस्करण का रंगारंग समापन हुआ। यह फेस्टिवल कला, संस्कृति और संगीत महोत्सव के साथ राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मकता का एक जीवंत फेस्टिवल था।
फेस्टिवल के दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत “म्हारो हैलो सुनो नी” गीत पर प्रस्तुत सुंदर तेरह (13) ताली नृत्य से हुई। इस अनूठे नृत्य में महिलाओं ने पारंपरिक राजस्थानी जातीय परिधान एंब्रॉयड्री, मिरर वर्क, ज़री बोर्ड्स से बने परिधानों से खुद को सजाया हुआ था। कलाकारों ने अपनी जीवंत वेशभूषा, भावपूर्ण संगीत और जीवंत नृत्य के साथ राजस्थान की कालातीत कलात्मकता और समृद्ध विरासत का जश्न मनाते हुए एक अद्भुत माहौल बनाया। इस कार्यक्रम ने दर्शकों को प्रेरित किया और उन्हें राजस्थान की सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जोड़ा। उसके बाद पैनल डिस्कशन सेशन्स की शुरुआत हुई जिसमें पहला सेशन यूथ एज कल्चरल एंबेसेडर्स: द रोल ऑफ यूथ इन एडवांसिंग राजस्थानी कल्चर था।
पैनल डिस्कशन
यूथ एज कल्चरल एंबेसेडर्स: द रोल ऑफ यूथ इन एडवांसिंग राजस्थानी कल्चर; जिसमें मुख्य स्पीकर्स यूथ ब्रांड एंबेसडर और विधायक रविन्द्र भाटी थे उनके साथ चर्चा द्रोण यादव ने की। इस दौरान रविन्द्र भाटी ने सांस्कृतिक मान्यताओं और मूल्यों में निहित रहने के महत्व के बारे में बात की, खासकर जब युवा शहरीकरण और आधुनिकता के प्रलोभन का सामना करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता को अपनाना, अपनी विरासत से गहरा संबंध बनाए रखना और अपने पर्यावरण और सांस्कृतिक जड़ों के प्रति सच्चे रहना महत्वपूर्ण है। आधुनिकीकरण और ग्रामीण परंपराओं के बीच नाजुक संतुलन पर विचार करते हुए, रविन्द्र भाटी ने युवाओं को अपनी भाषा, संस्कृति और पर्यावरण पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित किया।
दूसरा सैशन ‘नो योर चाइल्ड – द बिहेवियरैल पर्सपेक्टिव’ में डॉ निशांत ओझा ने बच्चों की काउंसलिंग से संबंधित बातों पर खुलकर अपने विचारों को व्यक्त किया। डॉ. ओझा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, अकादमिक और कला/संस्कृति के बीच बढ़ती खाई बच्चों के समग्र विकास पर असर डाल रही है।
फेस्टिवल के अगले सेशन में वर्ल्ड ट्रेड पार्क के सीएमडी डॉ अनुप बरतारिया ने राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता कला पर बात करते हुए कहा, कला अभिव्यक्ति का सबसे शुद्ध रूप है। राजस्थान की वास्तुकला विरासत पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आधुनिक संरचनाएं पारंपरिक डिज़ाइन में शामिल हो सकती हैं, जबकि सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रख सकती हैं।
“युवाओं में वित्तीय अनुशासन” पैनल डिस्कशन में स्पीकर एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के मनोज गुप्ता ने तेजी से विकसित हो रही वित्तीय दुनिया में वित्तीय जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया। मनोज गुप्ता ने कहा कि, खर्चों का प्रबंधन और वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण जैसी अच्छी वित्तीय आदतों को शुरू से ही विकसित करना दीर्घकालिक लाभ ला सकता है। उन्होंने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से प्रारंभिक ऋण के खतरों और वित्तीय लेनदेन में साइबर अपराधों के बढ़ते जोखिमों के बारे में भी चेतावनी दी। उन्होंने वित्तीय जानकारी को सुरक्षित रखने और सतर्क रहने के महत्व पर जोर दिया।
नन्हे कलाकार फेस्टिवल में गुप्त वृंदावन धाम, जगतपुरा, जयपुर के श्री वल्लभदास (प्रभु) द्वारा सत्र आयोजित किया गया जिसमें भागवत गीता, श्रीमद भागवतम और भक्त प्रहलाद की कथा जैसी पवित्र ग्रंथों की गहन शिक्षाओं पर चर्चा की गई। श्लोकों के संगीतमय पाठ और प्रभावशाली कहानियों के माध्यम से प्रभु ने भक्ति, विश्वास, और बुराई पर अच्छाई की विजय की शाश्वत सीख दी।
ए सॉलफुल म्यूजिकल ईवनिंग
फेस्टिवल के अंतिम दिन की शाम की शुरुआत नीरज आर्य के कबीर कैफे के शानदार प्रदर्शन से हुई, जिन्होंने संत कबीर के दोहों जैसे “मत कर माया को अहंकार”, “क्या लेकर आया जगत में” जैसे मनमोहक गीत गाए जिसने दर्शकों का मन मोह लिया।
नन्हे कलाकार फेस्टिवल का समापन प्रसिद्ध इंडी म्यूजिक बैंड “इंडियन ओशियन” के परफॉर्मेंस के साथ हुआ जिनके ‘देस मेरा, ज़िन्दगी से डरते हो और अन्य लोकप्रिय गीतों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नन्हे कलाकार महोत्सव का आयोजन अभ्युत्थानम वेलफेयर फाउंडेशन और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक और एफएचटीआर द्वारा किया गया था। आयोजन समिति में निर्देशक रिद्धि चंद्रावत, निर्देशक अनुज चंडक, निर्देशक प्रांजल सिंह, अदिति झंवर, कुशाग्र सिंह, अमन झंवर, पियूष जैन, अनीश शेखर, उद्दव बंसल, डॉ. इरा सिंह, खुशी माहेश्वरी शामिल रहे।