जयपुर। सांगानेर सदर थाना पुलिस और जिला स्पेशल टीम (डीएसटी) जयपुर दक्षिण ने कार्रवाई करते हुए 24 जनवरी को थाना इलाके में स्थित जोतडावाला सांगानेर इलाके में पति-पत्नी की गोली मारकर हत्या करने वाले आरोपी को महुआ जिला दौसा से गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपित ने जेवरात गिरवी रखकर 50 हजार रुपये की पिस्तौल खरीदी थी। इसके बाद वीडियो कॉल पर दोस्त को पिस्तौल दिखाकर हत्या करने की योजना भी बताई थी। फिलहाल आरोपी से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस उपायुक्त जयपुर (दक्षिण) दिगंत आनंद ने बताया कि दम्पति की हत्या के मामले में आरोपित मोनू उपाध्याय उर्फ मोनू पंडित (27) निवासी जगनेर जिला आगरा (उत्तर प्रदेश) को महुआ जिला दौसा गिरफ्तार किया है। जो जयपुर के पास जोतडावाला के सायर नगर-ए में पत्नी और तीन बच्चों के साथ किराए पर रहता है। जोतडावाला गांव में एक्सपोर्ट गारमेंट कंपनी में काम करता है।
थानाधिकारी नंदलाल नेहरा ने बताया कि आरोपी मोनू ने 24 जनवरी को जोतडावाला की शांति विहार कॉलोनी में रहने वाली आशा (25) और उसके पति राजाराम मीणा (26) की हत्या कर फरार हो गया था। पुलिस ने जयपुर से आगरा तक कई जगह दबिश दी। 25 जनवरी को देर रात दौसा के महुआ में बस स्टैंड से मोनू पंडित को हिरासत में लिया गया।
जयपुर लाकर पूछताछ के बाद पति-पत्नी की गोली मारकर हत्या करना स्वीकार करने पर उसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आरोपी को रविवार को कोर्ट में पेश कर चार दिन की रिमांड पर लिया है। पुलिस टीम आरोपी से पूछताछ कर पिस्तौल बरामदगी के लिए लेकर जाएगी।
आरोपी मोनू का घर राजाराम-आशा के मकान से करीब आधा किलोमीटर दूर है। यहां वह पत्नी और तीन बच्चों के साथ रह रहा था। मोनू और आशा एक ही फैक्ट्री में काम करते थे। फैक्ट्री में साथ काम करने के दौरान मोनू ने आशा से नजदीकियां बढ़ा ली थीं। बातचीत के दौरान आशा से मोनू ने दोस्ती कर ली। 6 महीने पहले मोनू ने बातचीत के लिए आशा को एक मोबाइल भी दिया था।
आशा के पास मोबाइल मिलने पर पति राजाराम ने मोनू से बात करने से मना कर दिया। इसके बाद आशा ने मोनू से बात करना बंद कर दिया। फैक्ट्री जाना भी बंद कर दिया। आशा से बात करने की फिराक में मोनू विचलित होकर घूमने लगा। 22 जनवरी को दोपहर में आशा स्कूल की छुट्टी होने पर बेटे को लेने गई थी। इस दौरान आशा का पीछा उसका देवर आशाराम कर रहा था। आशा से बात करने की फिराक में घूम रहे मोनू ने आशाराम को देख लिया।
आशाराम के पास जाकर मोनू ने धमकाया कि आशा से बात करने दो, नहीं तो मैं तुम सब को देख लूंगा। आशा से बात नहीं होने के कारण मोनू ने उसके पति राजाराम को रास्ते से हटाने की ठान ली। मोनू ने घर से जेवरात निकालकर गिरवी रखकर रुपयों की व्यवस्था की और धौलपुर के बसेड़ी से 50 हजार रुपए में देसी पिस्तौल खरीद कर 23 जनवरी की शाम जयपुर लौट आया और फिर फैक्ट्री में साथ काम करने वाले प्रदीप को मोनू पंडित ने वीडियो कॉल किया। वीडियो कॉल पर पिस्तौल दिखाई।
कहा कि राजाराम की पत्नी आशा मेरे से बात नहीं करेगी तो मैं राजाराम को जान से मार दूंगा। राजाराम का भाई आशाराम भी इसी फैक्ट्री में काम करता है। अगले दिन सुबह फैक्ट्री में काम के दौरान आशाराम को प्रदीप मिला था। प्रदीप ने वीडियो कॉल पर मोनू से हुई बात के बारे में आशाराम को बताया। उससे पहले ही मोनू घर में घुसकर राजाराम और आशा की हत्या कर भाग चुका था।
आरोपी मोनू ने पूछताछ में बताया कि वह आशा से बातचीत में बाधा बन रहे पति राजाराम को ही मारना चाहता था। उसको मारने के लिए ही पिस्तौल खरीदकर लाया था। घर में घुसकर आशा से बातचीत नहीं करने को लेकर राजाराम को गाली-गलौच की। उसके बाद पिस्तौल निकालकर राजाराम की कनपटी पर गोली मार दी। राजाराम को जमीन पर गिरते देखकर आशा रोने लगी। आशा उसको पकड़वा देगी। इस कारण उसको भी गोली मारनी पड़ी।