जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित नृत्य उत्सव ‘बसंत बहार’ का बुधवार को दूसरा दिन रहा। डॉ. तरुणा जांगिड़ एवं उनके समूह द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। वहीं शान्तनु चक्रवर्ती व समूह ने भरतनाट्यम व कथक नृत्य संयोजन की मनमोहक प्रस्तुति देकर शाम को भावपूर्ण तरीके से सजाया। इस नृत्य उत्सव के आखिरी दिन 30 जनवरी, गुरुवार को पं. हरीश गंगानी कथक नृत्य की प्रस्तुति देंगे।
डॉ. तरुणा जांगिड़ ने ‘जल जीवन का आधार’ विषय पर नृत्यनाटिका प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। इस प्रस्तुति में बसंत और जल के अनूठे सामंजस्य को राग मियां मल्हार पर आधारित बंदिश के माध्यम से दर्शाया गया। नृत्य के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश देते हुए ‘जल है तो कल है’ को सौंदर्यपूर्ण लयकारी के साथ मंच पर जीवंत किया गया। इस नृत्य संयोजन के रचनाकार डॉ. अंकित पारीक रहे जिन्होंने शब्दों और स्वरों से इस कृति को संजोया।
प्रस्तुति में दीपक भारती ने गायन, पवन शर्मा ने सितार, गुरबचन सिंह ने तबला और डॉ. अंकित ने संगत की। जल जीवन का आधार नृत्यनाटिक ने कथक की पारंपरिक भव्यता और अभिव्यक्ति की गहराई को दर्शाते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।डॉ. तरुणा जांगिड़ के साथ विजय, तृप्ति, दीक्षा, गुनगुन, शिल्पी, लावण्या और प्रज्ञा ने कथक नृत्य में समूह में नृत्य नाटिका को प्रदर्शित किया।
वहीं दिल्ली के शांतनु चक्रवर्ती व समूह ने भरतनाट्यम व कथक के संयोजन की विशेष प्रस्तुति थीम ‘हरि-हरा’ यानि भगवान शिव और भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे प्रभु राम व श्रीकृष्ण की भक्ति पर आधारित रही। प्रस्तुति का संयोजन प्रख्यात गुरु वी. कृष्णमूर्ति ने किया। शांतनु व परीनीत कौर द्वारा भरतनाट्यम शैली में राग नट्टई, ताल आदि पर पुष्पांजलि की प्रस्तुति दी गई जो भगवान गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी, शिव नटराज और मां दुर्गा को समर्पित नृत्य रहा।
स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित भजन ‘भो शम्भो’ पर भरतनाट्यम व कथक की शैलियों के संगम के रूप में दूसरी प्रस्तुति दी गयी। इसी के साथ स्वामी रविदास द्वारा रचित भक्ति गीत ‘कमल लोचन कटी पीतांबर’ भक्ति गीत पर नृत्य प्रस्ततु करते हुए कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन किया। साथ ही इसमें वामन अवतार, गजमोक्ष और भगवान राम व रावण युद्ध की झलकियों को पेश किया गया। कथक कलाकारों का निर्देशन पूनम नेगी द्वारा किया गया।