February 4, 2025, 9:28 pm
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वैलेंटाइन डे नहीं , मनाए मातृ पितृ पूजन दिवस

जयपुर। कहते है वैसे तो प्यार के इजहार करने का कोई वक्त या दिन नहीं होता। लेकिन फिर भी आजकल के युवा पश्विमी सभ्यता की ओर भागते नजर आ रहे और यहीं कारण है रोज-डे, फ्रेंडशिप डे,हक डे प्रोमिश डे जैसे त्योहार भारतीय सभ्यता की ओर बढ़ते नजर आ रहे है।आज के युवाओं को ये पश्चिमी सभ्यताओं के सारे पर्व याद है। लेकिन कभी किसी ने 14 फरवरी को मातृ-पिता दिवस नहीं मनाया।

बहुत कम युवाओं को याद है कि14 फरवरी को वैलेंटाइन -डे के दिन ही मातृ -पिता दिवस भी आता है। गत कुछ वर्षो से देशभर में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाए जाने का प्रचलन बढा है। जिसके कारण प्यार में पड़े युवक -युवतियों एक दूसरे को गुलाब का फूल देकर प्यार का इजहार करते है। इसकी आड़ में अश्लीलता पनपने लगी है। जिसके कारण भविष्य में इसका वितरीत प्रभाव बच्चों,युवाओं पर पड़ा है। इन्ही प्रभाव से बचने के लिए स्कूलों,कॉलेजों में 14 फरवरी को मातृ-पिता पूजन दिवस मनाया चाहिए। जिसमें युवा गलत मार्ग पर जाने से बच सकें।

पंडित राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि प्रेम का मतलब ये नहीं है कि वो कोई युवती हो ,प्रेम आप अपने गुरु से,माता -पिता से या आसपड़ोस में रहने वाले व्यक्तियों से भी कर सकते है। लेकिन आज का युवा भटक गया है। उसके प्रेम का मतलब वासना से जुड़ा हुआ है। पहले जब गुरुकुल में शिष्य शिक्षा प्राप्त करते करते थे तो प्रतिदिन अपने गुरुजनों और माता-पिता के चरर्ण-स्पर्श करने की शिक्षा ग्रहण करते थे। लेकिन अब वो प्रेम ,स्नेह कहीं विलुप्त हो गया है।

आज भी आरएसएस के माध्यम से संचालित आदर्श विद्या मंदिरों में सर ,मैडम की जगह गुरु जी कहा जाता है और वहां के बच्चें अपने गुरुओं के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते है। इसलिए 14 फरवरी का मतलब ये नहीं है कि किसी युवती को गुलाब या महंगे गिफ्ट देकर प्यार का इजहार किया जाए। वल्कि अपने गुरु की चरण वंदना करके भी वैलेंटाइन डे मनाया जा सकता है।

पाश्चात्य शैली से हो रहा नैतिक पतन

मीनाक्षी पारिक (अध्यापिका)ने बताया कि संस्कार और संस्कृति के बिना हम अच्छे नागरिक कभी नहीं बन सकते, ना ही इसके बिना अच्छे राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। पाश्चात्य शैली, अश्लील चलचित्र, अश्लील साहित्य, व्यसन, अशुद्ध आहार-विहार एवं इंटरनेट पर अश्लील दृश्य दिखाए जाने से भारतीय संस्कारों का पतन हो रहा है। बच्चे भारतीय संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। बच्चों में ‘मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः’ की भावना जाग्रत होनी चाहिए। इसलिए इसदिन वैलेंटाइन डे नहीं मना कर मातृ-पितृ दिवस मनाना चाहिए।

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