जयपुर। प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ प्रबंधन अध्ययन की प्रयोगशाला साबित हो रहा है। यहां प्रतिष्ठित हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, क्योटो विश्वविद्यालय जैसे वैश्विक संस्थानों के साथ आइआइटी, आइआइएम, एम्स जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों ने महाआयोजन का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। मेले का प्रबंधन, अस्थायी नगरी की संरचना, पर्यावरणीय प्रभाव, स्वास्थ्य सेवाएं, यातायात और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जा रहा है।
विशेष तौर पर प्रमुख स्नान पर्वों पर यातायात प्रबंधन, स्नान प्रबंधन, श्रद्धालुओं की सुरक्षा, शोध का विषय हैं। महाकुंभ में डटे सैकड़ों शोधकर्ताओं ने अध्ययन का अधिकांश भाग पूरा कर लिया है और इसको अंतिम रूप दे रहे हैं। इससे साफ है कि महाकुंभ प्रबंधन पर किया गया वैश्विक शोध सुधारों की नींव बनेगा और भविष्य में बड़े आयोजनों की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में बसाई गई अस्थायी नगरी को एक आधुनिक शहरी नियोजन के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
आइआइटी मद्रास, बीएचयू और एमएनएनआइटी यातायात प्रबंधन, अस्थायी पुलों, पार्किंग सुविधाओं और भीड़ नियंत्रण पर संयुक्त शोध कर रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह अध्ययन महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। गंगा और यमुना के जल की शुद्धता को बनाए रखना महाकुंभ के दौरान सबसे बड़ी चुनौती होती है। लाखों श्रद्धालुओं के स्नान और अपशिष्ट प्रबंधन की जटिलताओं को समझने के लिए आइआइटी मद्रास और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अध्ययन लगभग पूरा कर लिया है और अब निष्कर्षों पर काम हो रहा है।
बड़े आयोजनों में मिलेगी सहायता
आइआइटी कानपुर द्वारा इंटरनेट मीडिया की भूमिका, डेटा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा पर किया गया शोध भविष्य में डिजिटल गवर्नेस और बड़े आयोजनों की सुरक्षा नीतियों को विकसित करने में सहायक हो सकता है। श्रद्धालुओं की पर्यावरणीय जागरूकता को लेकर शोध कर रहा संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद यह समझने का प्रयास कर रहा है कि क्या तीर्थयात्री प्लास्टिक उपयोग, कचरा प्रबंधन और नदी स्वच्छता के प्रति संवेदनशील हैं। इसके आधार पर जागरूकता अभियानों की रणनीति तैयार की जाएगी।