जयपुर। एक अरसे से खराब गुणवत्ता के दौर से गुजरा राजस्थानी सिनेमा अब फिल्म “प्लॉट नम्बर 302” की गुणवत्ता के दम पर सिर उठाकर अपने हक की मांग कर रहा है। 7 फरवरी को राजस्थान के अलावा बैंगलोर और मुंबई के सिनेमाघरों में पहुंची जहां शुक्रवार और शनिवार के शो हाउसफुल रहे। इस फिल्म के हर सीन पर दर्शकों के दिलों की धड़कने बढ़ती हुई नजर आई और अंत में दर्शकों के दिल और दिमाग पर छा गई। यह फिल्म कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है।
इस फिल्म ने मायड़ भाषा के नाम पर झोली फैलाने की बजाय गुणवत्ता के दम पर मायड़ भाषा का मान बढ़ाने की कोशिश की है और दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में कामयाब रही है। फिल्म का प्रदर्शन से पहले अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव रिफ में वर्ल्ड प्रीमियर रखा गया जहां फिल्म ने राजस्थानी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म और अल्ताफ हुसैन ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। अपने आप के लिए न्याय मांगती हुई शिक्षा की कहानी अंत में सब का दिल दहला गई।
राजस्थानी सिनेमा में पहली बार लीक से हटकर बनाई गई प्लॉट नम्बर 302 निर्माता विजय सुथार और विक्रम ओ सिंह का एक साहसिक कदम हैं। इमोशन और सस्पेंस के साथ फिल्म का बेहतरीन पार्श्व संगीत दर्शकों को बांधकर रखता है। विजय सुथार ने बहुत ही कमाल की कहानी लिखी है और उसका निर्देशन भी बखूबी किया है।
इस फिल्म में एचआईवी जैसे गंभीर मुद्दे पर एक बेहतरीन संदेश को बहुत ही मनोरंजक तरीके से लोगों तक पहुंचा गया है। फिल्म में कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी इसे और ज्यादा मनोरंजक बनाती है। सीमा दिनोदिया गिने चुने दृश्यों में होने के बावजूद अपने बेहतरीन अभिनय के दम पर अंतिम दृश्य तक अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाती रही। अभिनेत्री अलीशा सोनी ने एक मां का दुख दर्द और अल्ताफ हुसैन ने एक बाप की बेबसी को पर्दे पर बहुत बेहतरीन ढंग से उतारा है।
फिल्म का संगीत और पार्श्व संगीत असम के संगीतकार डी जे भराली का है जो फिल्म को और बेहतरीन बनाता है। कश्मीरी गायक मुदासिर अली की सूफियाना आवाज में फिल्म का गीत घाव गहरा सीधा दर्शकों के दिल तक पहुंचता है। पुलिस वालों के किरदार में घनश्याम बेनीवाल, अंजली शर्मा, सौभाग्य प्रतिहार और रामकेश मीणा जमे है। अभिषेक जांगिड़, रिया सैनी, अश्मिता मीणा और रुद्र खत्री ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। राजस्थानी सिनेमा में पहली बार बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों की टक्कर का काम हुआ है।