जयपुर। प्यार आसमानों से ऊंचा और सागरों से गहरा होता है। हवन का पवित्र धुँआ है प्यार,मंदिरों की घंटियों की गूंज है प्यार। इसलिए तो किसी गीतकार ने कहा है कि जमाने के देखे है रंग हजार,नहीं कुछ सिवा प्यार के। तो एक शायर ने कहा है । एक रात की कहानी है प्यार ,सपनों भरी जवानी है प्यार , थोड़ा आग है थोड़ा पानी है प्यार।
लेकिन जब युवा अपने प्यार को पाने में असफल होते है तो उनके लिए कहा गया है ये इश्क नहीं आसा ,बस इतना ही समझ लिजिए, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है। इस सब भावना से ओतप्रोत युवा 14 फरवरी वैलेंटाइन डे का खास इतजार कर रहे है। युवा प्रेमी-प्रेमिका अपने प्यार का इजहार करने के लिए 14 फरवरी का खास इन्तजार करते है।
लेकिन कई संगठन इन युवाओं के प्रेम में बांधा बन जाते है। जिसके चलते अब युवा पार्को और रेस्टोरेंट में जाने से कतराते है। युगल प्रेमियों ने अपने प्रेम का इजहार करने के लिए अलग ही रास्ता अपना लिया है। वो अब बड़े मॉलों में शॉपिग के बहाने जाते है और वहीं पर अपने प्रेम का इजहार करते है।
ऐसे हुई वैलेंटाइन डे की शुरुआत
वैलेंटाइन -डे की शुरुआत रोम के राजा क्लॉडियस के समय हुई थी। बताया जाता है कि रोम में एक पादरी हुआ करते थे। जिनका नाम वैलेंटाइन था। वैलेंटाइन की कहानी भी उन्ही के प्यार और बलिदान को समर्पित है।रोम के राजा क्लॉडियस ने प्रेम के खिलाफ सख्ती से आवाज उठाई थी। उनका मानना था कि प्रेम और विवाह पुरुषों की बुद्धिमत्ता और शक्ति पर असर डालते है। इसलिए उन्होंने सैनिकों को विहार करने से मना कर दिया था। लेकिन संत वैलेंटाइन प्रेम की प्रोत्साहना करते थे। उनके लिए प्रेम जीवन था। उन्होने राजा के खिलाफ जाकर कई लोगों की शादियां करवाई।
संत वैलेंटाइन को मिली फांसी की सजा
राजा के खिलाफ जाकर कई सैनिकों की शादियां करवाने और राजा के विश्वास को गलत साबित करने के जुर्म ने रोम के राजा ने संत वैलेंटाइन को मौत की सजा सुनाई। राजा के निर्णय की पालना करते हुए संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी को फांसी से लटका दिया गया। उस दिन से ही वैलेंटाइन डे की शुरुआत हुई।
इस दिन मनाया गया था पहला वेलेंटाइन डे
बताया जाता है कि वैलेंटाइन -डे पहली बार सारे विश्व में 496 में मनाया गया, इसके बाद पांचवीं सदी में,रोम के पोप ग्लेशियस ने ये घोषणा कि 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे का आयोजन किया जाएगा। इस घोषणा के बाद से हर साल 14 फरवरी को पूरे विश्व में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत एक छोटे वेसटर्न क्रिश्चियन फ़ीस्ट के रुम में हुई थी।