जयपुर। इस बार 60 साल बाद 3 ग्रहों के संयोग में 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। छोटीकाशी में इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस बार 26 फरवरी को महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा के संयोग में मनाएंगे।
तीन ग्रहों की यह दुर्लभ युति 60 साल बाद बनेगी। इससे पहले ऐसी ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति सन 1965 में बनी थी, तब महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे। 26 फरवरी को भी मकर राशि के चंद्रमा की मौजूदगी में यही तीन ग्रह युति बनाएंगे।
सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। इस दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। यह एक विशिष्ट संयोग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं।
फाल्गुन माह में व्रत-त्योहारों की धूम रहेगी। फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि, होली सहित कई तीज-त्योहार, व्रत मनाए जाएंगे। फाल्गुन के तीज-त्योहारों में तिल के बजाय मेवा और मिठाइयों का भोग लगेगा। एक मार्च को फुलेरा दूज के अबूझ सावे सहित विवाह के मुहूर्त रहेंगे। फाल्गुन 14 मार्च तक रहेगा। फाल्गुन में मां लक्ष्मी, शिव, श्रीकृष्ण और चंद्रदेव की विशेष पूजा होती है। मंदिरों में भगवान के श्रृंगार में भी इस माह बदलाव होता है। फूल, दही, शंख, चीनी, चावल, सफेद चंदन, सफेद कपड़े का दान शुभ है।
होलिका दहन 13 को होगा और 14 मार्च को धुलंडी के दिन होली खेली जाएगी। इससे 8 दिन पहले से होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। वहीं, इस माह में शादियों के मुहूर्त भी हैं। 18, 19, 20, 21, 25 फरवरी के बाद 1, 3, 5 और 6 मार्च को सावे रहेंगे।
फाल्गुन माह के प्रमुख त्योहार:
16 फरवरी: द्विज प्रिय संकष्ट चतुर्थी
20 फरवरी: शबरी जयंती
21 फरवरी: जानकी जयंती
24 फरवरी: विजया एकादशी
25 फरवरी प्रदोष व्रत
26 फरवरी महाशिवरात्रि
27 फरवरी फाल्गुन अमावस्या
01 मार्च फुलेरा दूज, रामकृष्ण जयंती
03 मार्च: विनायक चतुर्थी
10 मार्च: आमलकी एकादशी
11 मार्च: प्रदोष व्रत
13 मार्च: होलिका दहन
14 मार्च: धुलंडी
चार प्रहर की पूजा में जुटेंगे श्रद्धालु:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर 4 प्रहर में भगवान शिवजी की साधना करनी चाहिए। इससे धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है। महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने वालों के घर में समृद्धि आती है।
प्रथम प्रहर शाम 6:19 से रात्रि 9:26 बजे तक और द्वितीय प्रहर रात्रि 9:26 से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक रहेगा। इसी प्रकार तृतीय प्रहर रात 12:34 से अगली सुबह 3:41 बजे तक और चतुर्थ प्रहर 27 फरवरी को सुबह 3:41 से सुबह 6:48 बजे तक रहेगा।