जयपुर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने रविवार कोबडी चौपड़ स्थित श्रीरामचंद्र मंदिर में होली के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस विशेष अवसर पर उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए साध्वी लोकेशा भारती जी ने कहा कि संस्थान के संचालक और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज का कहना है कि, “हमारा मन जब ईश्वरीय रंग में रंगा होता है, तब वह भीतर और बाहर दोनों ओर शुद्धता और पावनता का रंग बरसाता है। होली का यह पर्व केवल रंगों का नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता और ईश्वर के रंग में रंग जाने का पर्व है।”
साध्वी ने भक्तों को प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए भक्ति और विश्वास की शक्ति को उजागर किया। उन्होंने बताया कि कैसे राक्षसों के वंशज, प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को भगवान के भजन से रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन प्रह्लाद की श्रद्धा और भक्ति के आगे हर कठिनाई बेमानी साबित हुई। अंततः भगवान विष्णु ने प्रह्लाद के आशीर्वाद के रूप में अपनी दिव्य उपस्थिति से हिरण्यकश्यप का वध किया और भक्ति की शक्ति को प्रकट किया। यह कथा भक्तों के हृदय में भक्ति और विश्वास के महत्व को और भी गहरा करने वाली थी।
साध्वी ने बताया कि कैसे होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश किया, लेकिन जैसे ही आग जलकर बढ़ी, होलिका खुद जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद भगवान के आशीर्वाद से बिना किसी हानि के बच गए। यह घटना हमें यह सिखाती है कि बुराई कभी भी अच्छाई पर विजय नहीं पा सकती और भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इसके बाद, साध्वी जी ने साधक की होली की महिमा पर भी प्रकाश डाला और बताया कि जब एक साधक ईश्वर के रंग में रंगता है, तो उसका जीवन हर दिशा में खुशहाली और संतोष से भर जाता है। साध्वी जी ने यह भी कहा कि जीवन में सच्चे रंग की खोज तभी हो सकती है जब हम आत्मिक शुद्धता की ओर बढ़ें और ईश्वर के साथ अपने संबंध को प्रगाढ़ करें।
कार्यक्रम के दौरान, फाग महोत्सव की धूम भी देखने को मिली, जहाँ भक्तों ने भजन की मधुर धुनों पर नृत्य किया और एक-दूसरे के साथ फूलों की होली खेली। यह दृश्य अत्यंत उल्लासपूर्ण था, जिसमें सभी ने मिलकर भक्ति के रंग में रंगने का आनंद लिया।
इसके साथ ही एक विशेष संदेश भी दिया गया कि इस होली में ऑर्गेनिक रंगों से होली खेलनी चाहिए, जिससे प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण हो सके। रंगों के प्रति सावधानी और प्रकृति के प्रति जागरूकता का यह संदेश सभी भक्तों तक प्रभावी रूप से पहुंचा।
कार्यक्रम के अंत में, सभी भक्तों ने एक साथ ईश्वर के रंगों में रंगने का संकल्प लिया और पूरे कार्यक्रम का समापन दिव्य वातावरण में हुआ, जिसमें हर एक भक्त का मन सच्चे रंग से रंगा हुआ महसूस हो रहा था। साथ ही, सभी भक्तों ने भंडारा प्रसाद लिया और संगीतमय ध्वनियों के बीच, दूर-दूर से आई हुई भक्तों ने एक साथ प्रसाद ग्रहण किया।