April 29, 2025, 11:25 pm
spot_imgspot_img

कला मेले में बिखरे लोक परंपरा के अलबेले रंग

जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से जवाहर कला केंद्र में चल रहे 24वें कला मेले में शनिवार को लोक नाट्य के अद्भुत रंगों की बयार छाई। कोडमदेसर लोक नाट्य कला संस्थान, बीकानेर की ओर से प्रस्तुत भक्त पूरणमल की रम्मत ने कला मेले के माहौल को राजस्थानी लोक रंगों से सराबोर कर दिया। रम्मत कलाकारों ने ”पथवारी अंबिके…जय शिवप्यारी अंबिके” के साथ प्रस्तुति का श्रीगणेश किया।

इसके बाद सियालकोट के राजा की कहानी के माध्यम से भक्त पूरणमल की कथा को आकार दिया जिसे देख दर्शक रोमांचित हो उठे। इस प्रस्तुति में संगीत की लाजवाब जुगलबंदी के साथ कलाकारों ने अपने संवादों से समां बांध दिया। श्रृंगार व वीररस पर आधारित आख्यान की नाटृय प्रस्तुति देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पांडाल में मौजूद रहे और पूरे उत्साह के साथ कलाकारों का हौंसला बढ़ाया। गौरतलब है कि रम्मत प्रस्तुति की परंपरा 367 साल पुरानी है। मेला संयोजक डॉ. नाथूलाल वर्मा ने बताया कि कला मेले का रविवार को अंतिम दिन है। रविवार को मेले का भव्य समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा।

कैनवास पर साकार हुई रंगों की दुनिया

कला मेले के दौरान शनिवार को कला की दुनिया में ताजा हवा के झोंके की तरह आने वाले नए कलाकारों की प्रतिभा को मंच मिला। राउंड स्टेज पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में युवा कलाकारों ने अपनी अंगुलियों के जादू से रंगों का संसार रचा। करीब 65 प्रतिभागियों ने लगातार तीन घंटे तक कैनवास पर कूची चलाई। इस दौरान कलाकारों का उत्साह और रोमांच देखने लायक था। कला प्रतियोगिता में भाग ले रहे कलाकारों के साथ ही दर्शकों में भी विशेष उत्साह देखने को मिला। कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों में चित्रकला की विभिन्न विधाओं का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में विशेषज्ञों ने टॉप-10 चित्रों का चयन किया जिन्हें पुरस्कृत किया गया।

एक फ्रेम में कैद न रहें कलाकार

कला मेले के दौरान आयोजित चर्चा सत्र ‘एक बातचीत: तुम्हारी कला पर’ में वरिष्ठ कलाकार आशीष शृंगी व मनीष शर्मा ने नए कलाकारों की कला से जुड़ी विभिन्न जिज्ञासाओं के समाधान के साथ ही कला के विविध पहलुओं पर भी बात की। एक सवाल के जवाब में आशीष शृंगी ने कहा कि नए कलाकार कला के औपचारिक अध्ययन के बाद पहले अपनी विशेषता को ढूंढें और फिर धीरे-धीरे अपने मार्ग पर आगे बढ़ें। कलाकार का पहले मनुष्य बनना जरूरी है।

नए कलाकारों को चाहिए कि वे किसी एक फ्रेम में कैद न रहें और कला की तय सीमाओं से बाहर निकलने का लगातार प्रयास करते रहें। मनीष शर्मा ने कहा कि जो कलाकार विनम्र रहकर सीखते हुए आगे बढ़ता है वह निश्चित रूप से सफल होता है। डॉ. लोकेश जैन और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के संयोजन में आयोजित चर्चा सत्र में कंटेम्पररी आर्ट, पोस्ट कंटेम्पररी आर्ट, न्यू मीडिया, आर्ट एजुकेशन आदि सहित कला के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई जिसमें बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने भाग लिया।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles