जयपुर। वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय तृतीया के रूप में मनाई जाएगी। इस बार 23 साल बाद अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र में आ रही है। सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन काफी शुभता का प्रतीक है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे होगी। इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे होगा। ऐसे में अक्षय तृतीया की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:54 से सुबह 9:12 बजे तक, बाद में 10:51 से 12:30 बजे तक रहेगा। यदि अक्षय तृतीया को रोहिणी नक्षत्र हो तो खेती के लिए यह अधिक फलदायी मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा बताया कि अक्षय का अर्थ होता है कभी न खत्म होने वाला। अक्षय तृतीया बेहद शुभ तिथि होती है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है, इस दिन किया हर काम सफल होता है। अक्षय तृतीया को किया गया दान, पूजा, जप और खरीदारी कभी व्यर्थ नहीं जाता। हर धार्मिक कार्य का अक्षय फल मिलता है। इसलिए माता लक्ष्मी से जुड़ी चीजों को घर लाने से उनका आशीर्वाद मिलता है, घर में उनका स्थायी वास होता है। साथ ही उन चीजों में वृद्धि होती है, भाग्य का साथ मिलता है।
सोने की जगह ये चीजें भी खरीद सकते हैं। जो लोग सोना, चांदी या कोई रत्न नहीं खरीद सकते वे कपड़ा, खाद्यान्न, दाल, घी आदि खरीदना चाहिए। श्रीयंत्र, मटका, पीली सरसों आदि भी खरीद सकते हैं। अक्षय तृतीया पर एल्यूमीनियम, स्टील या प्लास्टिक के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता। इस दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े, कांंटदार पेड़-पौधों को घर लाना भी शुभ नहीं माना जाता।
मान्यता है कि अक्षय तृतीया को सोना खरीदने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र में आने से शुभ योग बन रहे हैं। आगामी समय में भी सुखदायक योग बनेंगे। इस दिन विवाह करना, गृह प्रवेश, खरीदारी करना, मकान खरीदना, ज्वैलरी एवं वाहन की खरीदारी करना शुभ होता है। इस दिन भगवान परशुराम जी की जयंती भी मनाई जाएगी। लक्ष्मीजी की भी पूजा-अर्चना की जाएगी। इसी दिन त्रेता युग का भी आरंभ हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन स्नान के बाद जप, तप, हवन और दान करने से अक्षय फल मिलता है।
सामान की खरीदारी देगी अक्षय फल
अक्षय तृतीया का पर्व लंबी अवधि की चीजों, नए काम शुरू करने और भूमि-भवन के अलावा ज्वैलरी और इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया को शोभन योग, लक्ष्मी नारायण, गजकेसरी और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से खरीदी वस्तुएं अति फलदायी होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी के दर्शन भी किए जाते हैं। इसी दिन भगवान परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसलिए इनका प्राकट्य दिवस भी मनाया जाता है। भगवान परशुराम प्रदोष काल में प्रकट हुए थे इसलिए इस बार भगवान परशुराम जी का प्रगट दिवस 29 अप्रैल को मनाया जाएगा।
आखा तीज के अबूझ सावे पर सैंकड़ों जोड़े बंधेंगे परिणय सूत्र में
अक्षय तृतीया 29-30 अप्रैल के अबूझ सावे पर जयपुर जिले में सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बधेंगे। राजधानी के सभी प्रमुख होटल, बैंक्वेट हॉल, सामुदायिक केन्द्र और मैरिज गार्डन पहले से ही बुक हो चुके हैं। इसके बाद 12 मई को पीपल पूर्णिमा का अबूझ सावा रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि इस बार अप्रैल से 6 जुलाई तक विवाह संस्कार के लिए शुभ समय है। कुल 22 सावे और 6 अबूझ सावे इस अवधि में आ रहे हैं, जिससे विवाह आयोजनों की जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है।
अप्रैल के महीने में किसानों द्वारा अपनी रबी फसल की कटाई पूरी कर लेने के बाद वे अब विवाह की तैयारियों में जुट गए हैं। खेतों की थकान और मेहनत के बाद अब उत्सव का दौर शुरू हो चुका है। कपड़ों, गहनों, सजावट और मिठाइयों की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगी हुई है। गार्डन, टेंट हाउस और कैटरर्स की बुकिंग भी लगभग फुल हो चुकी है। शादी-विवाह के इस शुभ मौसम में न केवल सामाजिक समरसता देखने को मिलती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी एक नई रफ्तार मिलती है।
जैन धर्म में भी है इस दिन की मान्यता:
जैन धर्म की मान्यता के अनुसार प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष की तपस्या करने के बाद वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस यानी गन्ने के रस से अपनी तपस्या का पारणा किया था। इस कारण जैन समाज में यह दिन विशेष माना जाता है। इसी मान्यता को लेकर आज भी अक्षय तृतीया का उपवास गन्ने के रस से तोड़ा जाता है। यहां इस उत्सव को पारणा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्मावलंबी भगवान ऋषभदेव को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं।