भिवाड़ी। मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कर्नल राजपाल सिंह ने साबित कर दिया कि ‘उम्र केवल एक संख्या है’। 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने सफल इलाज और सर्जरी करवाकर एक उदाहरण स्थापित किया है। उन्हें पिछले पाँच से छः महीनों से छाती में दर्द की शिकायत थी। निदान में सामने आया कि वो अत्यधिक कैल्शियम के साथ ट्रिपल वैसेल कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ से पीड़ित थे। उनकी हालत को देखते हुए डॉ. मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने ट्रिपल बाईपास सर्जरी करने का निर्णय लिया।
कर्नल सिंह ट्रिपल वैसेल कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ से पीड़ित थे, लेकिन उनकी उम्र एवं डायबिटीज़, स्ट्रोक का इतिहास, दौरे का विकार, तथा प्रोस्टेट कैंसर जैसी अन्य समस्याओं के कारण यह मामला बहुत जटिल था। उनके लिए कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी प्रक्रिया की सर्वोत्तम थी।
चार घंटे की सर्जरी के दौरान हृदय में रक्त का संचार बनाए रखनके के लिए सभी तीन प्रमुख कोरोनरी आर्टरीज़ में ग्राफ्ट लगाए गए। सर्जरी के बाद उनके स्वास्थ्य में बहुत तेजी से सुधार हुआ। वो सर्जरी के कुछ ही घंटों में अपने आप साँस ले रहे थे और छठवें दिन अस्पताल से छुट्टी लेकर घर जाने में समर्थ हो गए। उनका हृदय 40 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत तक ठीक काम करने लगा।
इस मामले के बारे में डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कंसल्टैंट एवं हेड, सीटीवीएस, मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने कहा, ‘‘भारत में ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिनमें हृदय की जानलेवा बीमारियों के लिए जटिल कार्डियेक सर्जरी में उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता है। सतर्क योजना, क्रियान्वयन और पोस्ट ऑपरेटिव केयर के साथ अब 80 से 90 वर्ष तक के वरिष्ठ नागरिकों को भी सीएबीजी का लाभ मिल सकता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होकर उनकी आयु बढ़ सकती है।’’
दिल की 2 से ज़्यादा नसों में रूकावट के लिए बाईपास सर्जरी सर्वोत्तम इलाज है। इससे पहले 80 साल के मरीजों को अत्यधिक जोखिमपूर्ण मामला समझा जाता था। लेकिन मरीज के पूरे मूल्यांकन, सर्जिकल कौशल में हुई प्रगति, एनेस्थेसिया, और पोस्ट ऑपरेटिव केयर की मदद से वरिष्ठ नागरिकों की भी सीएबीजी की जा सकती है। सीएडी के इलाज में हुई प्रगति ने जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने की संभावनाएं प्रदान की हैं, जिससे हृदय रोग से पीड़ित वृद्धों की आयु बढ़ाना संभव हो गया है।