जयपुर। अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) में लेनदेन और फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में एसीबी के टारगेट पर करीब एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टर और कर्मचारी है। फिलहाल एसीबी ईएचसीसी और फोर्टिस अस्पताल की फाइलों की जांच करने में जुटी है। इसके बाद अन्य अस्पतालों की फाइलें जांची जाएगी।
एसीबी के डीआईजी डॉ. रवि ने बताया कि सोमवार को फोर्टिस के सर्जन डॉक्टर संदीप गुप्ता और असिस्टेंट भानूप्र ताप को ऑफिस बुलाया। दोनों से कई घंटों तक अलग-अलग पूछताछ की गई। इसके बाद दोनों को वापस भेज दिया। दोनों को जयपुर ही रहने को कहा गया है। इस मामले में डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों की भूमिका की जांच जारी है। फाइलों के आधार पर ही डॉक्टर्स और कर्मचारियों की सूची तैयारी की जा रही है। दोनों अस्पतालों के बाद एमएसएम और अन्य अस्पतालों की फाइल खंगाली जाएगी।
डॉ. रवि ने बताया कि दोनों के जब्त मोबाइल को एफएसएल जांच करवाने के लिए भेजा गया है। वहीं, ईएचसीसी से पकड़े गए ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को भी सोमवार को टीम हॉस्पिटल लेकर गई थी। जहां पर आरोपी से कई बिन्दुओं पर पूछताछ की गई। कुछ सर्जन को एसीबी ने पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाया हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले के तार हरियाणा, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल से जुड़ रहे है।मंगलवार को एसीबी गौरव सिंह को एसएमएस अस्पताल लेकर गई, जहां पर विभाग से जुड़े हुए अधिकारियों के सामने गौरव से सवाल जवाब किए गए। बताया जा रहा है कि सील किए गए कमरे को भी एसीबी आज अपने सामने खोलेगी। फिर वहां रखे हुए कुछ दस्तावेजों की जांच करेगी।
गौरतलब है कि एसीबी ने एसएमएस हॉस्पिटल में 31 मार्च सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ईएचसीसी हॉस्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा था। टीम ने मौके से 70 हजार रुपए और 3 फर्जी एनओसी लेटर भी जब्त किए थे।
कार्रवाई के बाद एसीबी ने आरोपियों के घर और अन्य ठिकानों पर भी सर्च किया थे। इनकी गिरफ्तारी से खुलासा हुआ था कि फोर्टिस हॉस्पिटल का को-ऑडिनेटर विनोद सिंह भी कुछ समय पहले पैसा देकर फर्जी सर्टिफिकेट लेकर गया था। एसीबी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया था। तीनों आरोपी गौरव सिंह, अनिल जोशी व विनोद सिंह को सोमवार को कोर्ट में पेश कर दो दिन का रिमांड लिया गया है।