जयपुर। बनीपार्क कांति चंद्र रोड स्थित शांति जीवन में ओमकार सेवा संस्थान चैरिटेबल ट्रस्ट श्री डूंगरपुर के तत्वावधान में तीन अक्टूबर 2024 से दो अक्टूबर 2025 तक एक वर्षीय शिव शक्ति महायज्ञ का आयोजन का शुभारंभ गुरुवार को किया गया। जिसमें शाही लवाजमे के साथ कलश यात्रा का आयोजन किया गया। इस कलश यात्रा में सैकड़ो की संख्या में महिलाएं व पुरुष शामिल हुए।
संतोष सागर महाराज ने बताया कि गुरुवार को जंगलेश्वर महादेव मंदिर कांति चंद्र रोड से शांति जीवन तक हाथी,घोडे़ एंव पालकी के शाही लवाजमे के साथ 11 हजार महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश धारण कर गंगा मैया के भजनों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली । शोभायात्रा के दौरान पूरा इलाका भक्तिमय हो गया।
प्रतिदिन होगा वैदिक शिव शक्ति महायज्ञ का आयोजन
गौरतलब है कि प्रतिदिन सुबह 6 से सवा 12 बजे तक वैदिक शिव शक्ति महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर 2024 तक दोपहर 2 से सायंकाल 6 बजे तक सप्त दिवसीय श्रीमद्र भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ ही 30 जनवरी 2025 से 6 फरवरी 2025 तक दोपहर 2 से सायंकाल 6 बजे तक नव दिवसीय श्री देवी –भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।
30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक दोपहर 2 बजे से सायंकाल 6 बजे तक श्री राम कथा का आयोजन किया जाएगा। 26 जून से 4 जुलाई 2025 तक 3 बजे से 7 बजे तक श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। 22 सितंबर से 10 अक्टूबर 2025 तक 3 बजे से 7 बजे तक संगीतमय श्री भक्तमाल की कथा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रत्येक रविवार को सायंकाल 7 बजे से हरि नाम संकीर्तन होगा। प्रतिदिन महामृत्युंजय के जाप होंगे। 5100 विराट दीप यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। प्रतिदिन धर्म में रुचि रखने वाले युवाओं को श्रीमद् भागवत गीता से जोड़ा जाएगा।
400 से अधिक कथाएं, चार लाख बच्चों एवं युवाओं को निशुल्क भागवत गीता भेंट
संतोष सागर महाराज ने बताया कि दो वर्ष से राजस्थान के सभी जिलों में भ्रमण कर श्रीमद् भागवत गीता के बारे में जानकारी दी जा रही है। राजस्थान में अब तक 322 स्कूलों के विद्यार्थियों को श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करने का संकल्प दिलाया है। राजस्थान में 400 से अधिक कथाएं कर चार लाख बच्चों एवं युवाओं को निशुल्क भागवत गीता भेंट कर चुके हैं। संतोष सागर महाराज ने बताया कि यज्ञ ही श्रेष्ठ कर्म है क्योंकि यज्ञ के द्वारा ही मनुष्य ब्रह्म साक्षात्कार की पालना प्राप्त कर सकता है और ब्रह्म साक्षात्कार ही तो मनुष्य जीवन का अंतिम ध्येय है।