मुंबई। दुर्लभ (रेयर) कैंसर के साथ जुड़ी अनिश्चितता और भय से जूझ रहे रोगियों के लिए सही निदान और इलाज की पहुंच बड़ी चुनौती जैसी लग सकती है। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की रेयरकेयर क्लीनिक अब उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आएगी। यह विशेष क्लीनिक, दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण कैंसर से जूझ रहे लोगों को हर तरहके व सहानुभूतिपूर्ण तरीके से इलाज प्रदान करने के लिए समर्पित है।
दुर्लभ कैंसर आम तौर पर असामान्य है और यह 1 लाख में 6 लोगों को होता है लेकिन कुल मिलाकर 20% कैंसर इस प्रकार (टाइप) के होते हैं। ये कैंसर लगभग 200 प्रकार के होते हैं और ऐसे रोगी अक्सर अलग-थलग महसूस करते हैं क्योंकि नैदानिक प्रक्रियाओं और उपचार प्रोटोकॉल संबंधी डाटा की कमी है। दुर्लभ कैंसर में हड्डी और सॉफ्ट टिशू सार्कोमा (डेस्मॉइड ट्यूमर), त्वचा कैंसर, गर्भावस्था से जुड़े कैंसर, लैंगिक अल्पसंख्यक आबादी में कैंसर (एलजीबीटीक्यू+ कैंसर), न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटी), वंशानुगत और पारिवारिक कैंसर और किशोरों या युवाओं को होने वाले कैंसर शामिल हैं।
ऑन्कोलॉजी में चुनौतीपूर्ण स्थितियों में कोमॉर्बिडिटी के साथ वृद्धावस्थामें होने वाले कैंसर, इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज्ड सिचुएशन, कोमॉर्बिडिटी वाले रोगी और पॉली पिल थेरेपी, या सामान्य कैंसर जैसे स्तन, स्त्री रोग, फेफड़े, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, सिर तथा गर्दन के कैंसर के असामान्य प्रेज़ेंटेशन या रेयर हिस्टोलॉजी शामिल हैं।
दुर्लभ कैंसर के उपचार के लिए व्यापक और मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसे अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में रेयर-केयर क्लीनिक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। रोगियों और उनके परिवारों को विशेषज्ञ से इलाज के साथ-साथ सहानुभूतिपूर्ण समर्थन मिलेगा, जिससे उन्हें नई आशा और आत्मविश्वास के साथ अपने स्वास्थ्य की यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
डॉ.ज्योति बाजपेयी, लीड-मेडिकल एंड प्रेसिज़न ऑन्कोलॉजी, अपोलो कैंसर सेंटर नवी मुंबई ने कहा,”दुर्लभ कैंसर के लिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर ऐसे लक्षणों के साथ उपस्थित होते हैं जिन्हें आसानी से अन्य स्थितियों के लिए गलत समझा जा सकता है। सोसाइटी ऑफ इम्यूनोथेरेपी इन कैंसर (एसआईटीसी), यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी (ईएसएमओ) में इम्यूनो-ऑन्कोलॉजी संकाय और सार्कोमा के लिए तत्काल पूर्व संकाय के साथ-साथ महिलाओं के लिए ऑन्कोलॉजी के लिए कोर कमेटी सदस्य जैसे वैश्विक कैंसर संघों के सक्रिय सदस्यता के एक्सपोज़र ने मुझे दुर्लभ प्रकार के कैंसर का सटीक निदान और उपचार करने की विशेषज्ञता प्रदान की है, इससे रोगियों के लिए अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तुरंत सही उपचार शुरू करने में मदद मिलती है।”
दुर्लभ कैंसर लगातार होने वाली समस्याओं के रूप में सामने आ सकते हैं, जैसे कि लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, तिल या त्वचा के घावों में बदलाव, बिना किसी कारण के दर्द, नए सीज़र या सिरदर्द, सूजे हुए लिम्फ नोड, बार-बार बुखार, लगातार थकान या बिना किसी कारण के वज़न कम होना। अपोलो के रेयरकेयर क्लीनिक में विशेषज्ञ सहायता प्रदान करते हैं।
डॉ.अनिल डी’क्रूज़, डायरेक्टर ऑन्कोलॉजी और सीनियर कंसल्टेंट हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा, ” पिछले कुछ वर्षों में कैंसर की वैश्विक घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जो 2012 में 1 करोड़ 20 लाख से बढ़कर 2018 में 1 करोड़ 80 लाख और 2020 में 1 करोड़ 93 लाख हो गई हैं। भारत में कैंसर रजिस्ट्रियां भी इसी तरह की प्रवृत्ति दिखा रही हैं।
अपोलो कैंसर सेंटर हमारे पास आने वाले मरीजों के लिए सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य आधारित, अवयव नुसार विशेष सेवाएं, उत्कृष्ट बुनियादी संरचना और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के चिकित्सकों द्वारा समर्थित ट्यूमर बोर्ड शुरू करके कैंसर देखभाल पर जोर दे रहे हैं। रेयर-केयर क्लिनिक हमारे समर्पण का एक प्रमाण है जो यह सुनिश्चित करता है कि सबसे अनोखे और चुनौतीपूर्ण कैंसर के मामलों को भी व्यक्तिगत, देखभाल प्राप्त हो। हमारा लक्ष्य रोगियों और उनके परिवारों के लिए कैंसर देखभाल के अनुभव को बदलना है।”
(अनिल बेदाग)