December 22, 2024, 3:03 pm
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अपने बॉडी टाइप को खुशी से एक्सेप्ट करेंः अभिनेत्री मुग्धा गोडसे

जयपुर। एसके वर्ल्ड हेल्थ एंड वेलनेस फेस्टिवल में मुग्धा गोडसे ने “एम्ब्रेसिंग यॉर ऑथेंटिसिटी सेल्फ” पर बात की। उन्होंने कहा कि सेहत को लेकर आजकल कुछ हैशटेग चल रहे हैं, मसलन #BodyBeautiful #BeFit. हर किसी का बॉडी टाइप अलग होता है, हर शरीर की प्रकृति अलग तरह की होती है। प्रकृति ने हम सभी को अलग-अलग बनाया है।

कुछ समय पहले जीरो फिगर के चक्कर में हम गलत दिशा में जाने लगे थे। जबरन और गलत डाइट अपनाने की वजह से कुछ लोगों को समस्याओं का सामना भी करना पड़ा था। जीरो फिगर नहीं बल्कि एम्ब्रेस यॉर सेल्फ पर ध्यान देना चाहिए। सबसे जरूरी है कि हम अपने बॉडी टाइप को पॉजीटिव होकर एक्सेप्ट करें। उसी के हिसाब से डाइट और वर्कआउट प्लान करें।

मुग्धा ने कहा कि किसी को जिम में वर्क आउट करना अच्छा लगता है किसी को योगा करने से सुकून मिलता है। ट्रेनिंग किसी भी तरह की लें, हमारा लक्ष्य होना चाहिए फिट रहना। सोशल मीडिया पर आए दिन नए ट्रेंड चलते रहते हैं, हर ट्रेंड हर किसी के लिए सही नहीं रहता है। अगर अच्छा ही दिखना है तो इंस्टाग्राम पर कई फिल्टर आ गए हैं, वे आपको सुंदर दिखाने के लिए काफी हैं। मुझे योगा करना ज्यादा पसंद आया है। करीब दस साल पहले योगा के साथ ही मेडिटेशन और स्पिरिचुअलिटी की तरफ आगे बढ़ी। उसके अपने अलग फायदे हैं। मैं अभी भी उसका अभ्यास कर रही हूं।

फिल्म करने के बारे में सोचा नहीं था

अपने फिल्मी करियर के बारे में मुग्धा ने कहा कि मैंने कभी करियर में कोई खास योजना नहीं बनाई है। फिल्मों में आने का मैंने कभी सोचा भी नहीं था। चीजें होती गईं। मॉडलिंग के बाद फैशन फिल्म का ऑफर मिला। उसके बाद से यही क रही हूं। मैं जीवन में लोगों से सीखती हूं।

वीकनेस को स्ट्रेंथ में बदलना है

मॉडलिंग कॉम्पीटिशंस के दौरान जब हमसे पूछा जाता था कि आपकी वीकनेस और स्ट्रेंथ क्या है। आज समझ आ रहा है कि होता क्या है वीकनेस और स्ट्रेंथ। आपकी वीकनेस को स्ट्रेंथ में बदलना गहरी चीज है, वो ऐसे ही नहीं आती है। वो आप पर, आपके आस पास के, आपके घर के माहौल पर भी निर्भर करता है।

क्या हुआ तुझे पौष की सर्दी, तेरे होते हुए लोगों ने आस्तीने उठा रखी हैं..

फेस्टिवल की शाम मजलिस की महफिल के नाम रही। दिल, दिवानगी और दुआ के नाम से सजी महफिल को सजाया शहर के जाने माने डॉक्टर्स ने। डॉक्टर्स ने अपने कलाम सुनाकर महफिल रोशन की। डॉ. रविंद्र सिंह सिसोदिया ने अपनी रचना एनेस्थिसिया सुनाकर वाहवाही लूटी। उन्होंने सांसों और धड़कनों को घटाया, बढ़ाया या थाम लिया, तुझे जिससे जो लेना था वो काम लिया, जब शरीर की रग रग पर पहरा तेरा हो गया, बस तभी से एनेस्थिसिया मैं तेरा हो गया… सुनाकर तारीफ बटोरी।

इसके बाद डॉ. जितेंद्र मक्कड़ ने अपनी रचना सुनाई। उन्होंने कहा कि मैं दौरा ए दिन का इलाज करता हूं, दो राह एक दिन का इलाज नहीं करता। डॉ. जितेंद्र मक्कड़ ने क्या हुआ तुझे पौष की सर्दी तेरे होते हुए लोगों ने आस्तीने उठा रखी हैं.. सुनाते हुए दाद पाईं। डॉ.केके बंसल ने सनसाइज का पीला सुनहरा रंग चेहरे पर पहनना, सुबह की शबनम सी नमी होठों पर लेकर आना, आसमानी रंग को आंखों में उतारना… सुनाकर अपने मन के भावों को शब्दों में पिरोकर पेश किया।

डॉ. मोनिका गुप्ता ने कहा कि अपनी कविता को किसी को अब बताते नहीं हैं, अब अंधेरे में भी हम गुनगुनाते नहीं है। गलती कोई हो जाए तो माफ करना दोस्तों, क्योंकि अब अपनों की महफिल भी अब हम जमाते नहीं है। उनके साथ ही डॉ. अजीत जैन ने लाख जुल्मों सितम हुए, सर कटे, बहुत कुछ टूटा, पर महफूज हैं वो मुल्क, वो सभ्यताएं जहां कागज को सहेजा गया.. सुनाकर देश प्रेम की भावना को प्रकट किया। अभिषेक मिश्रा और दीपा माथुर ने मंच संचालन किया।

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