जयपुर। भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी आज अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाई जाएगी। ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देवजी में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में राजभोग झांकी पूर्व ठाकुर श्री शालिग्राम जी (नारायण जी) का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद राजभोग आरती के दर्शन होंगे। ठाकुरजी को नवीन केसरिया लप्पा जामा पोशाक धारण कराकर विशेष अलंकार श्रृंगार धारण कराए जाएंगे। सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाएगा।
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर को अपराह्न करीब तीन बजे से हो गया है। इसका समापन 17 सितंबर सुबह करीब सवा ग्यारह बजे होगा। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता हैं। श्रद्धालु भगवान श्रीहरि के अनंत रूप की पूजा-अर्चना कर व्रत रखेंगे। श्रद्धालु भगवान विष्णु के पूजन के दौरान चौदह ग्रंथि का सूत्र उनके सामने रखकर उसकी पूजा करेंगे। पूजा के बाद इस चौदह ग्रंथ अनंत सूत्र को पुरुष अपने दाहिने हाथ के बांह पर बांधते हैं।
वहीं महिलाओं को बाएं हाथ के बांह पर यह सूत्र बांधा जाता है। इस अनंत सूत्र को धारण करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ ही उन्हें सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाभारत काल में पांडवों ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर ही अपना खोया हुआ राज पाठ प्राप्त किया था।
गूंजेगा गणपति बप्पा मोरिया
अनंत चतुर्दशी को दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होगा। जिन मंदिरों, पांडालों और घरों में गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना की गई थी, उनकी महाआरती कर जल स्त्रोत में विसर्जन किया जाएगा। आमेर के मावठा, सागर, जलमहल, गोनेर के जगन्नाथ सरोवर सहित अन्य जल स्त्रोत तक गणपति को शोभायात्रा के साथ ले जाया जाएगा। गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ… के जयघोष के साथ गणपति विसर्जन किया जाएगा।