जयपुर। नाबालिग दुष्कर्म पीडिता को बंधक बनाकर नौकरानी की तरह रखने वाली गिरफ्तार महिला ने दो अन्य बच्चों को भी बंधक बना रखा था। महिला इन बच्चों को न ठीक से खाने को देती थी ना ही नहाने देती थी। कई महीनों तक बिना नहाए रहने से बच्चों के शरीर में फुंसियां और घाव बन गए थे। दुष्कर्म पीडिता ही इन बच्चों का ध्यान रखती थी। करणी विहार थाना पुलिस ने जब मकान में बंधक बनाए गए बच्चों से पूछताछ की तो कई चौकाने वाली बातें सामने आई।
पुलिस ने बताया कि जिस महिला ने बच्चों को बंधक बना रखा था। उसने रेस्क्यू करने वाली टीम को भी धमकी दी थी। बच्चों का रेस्क्यू तो नवंबर माह में ही कर लिया गया था। उसके बाद से महिला बार बार दबाव बनाकर बच्चों को कस्टडी में लेने की कोशिश कर रही थी। इस मामले में दो महीने बाद महिला की गिरफ्तारी हुई है। फिलहाल महिला को जेल भेज दिया गया है। मामले की जांच वैशाली नगर थाना पुलिस कर रही है।
महिला ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 8 साल तक नौकरानी के तौर पर बंधक बनाकर रखा। वह उससे घरेलू काम करवाती थी। विरोध करने पर डंडे और जंजीर (चेन) से मारपीट करती थी। 16 साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के अलावा दो बच्चे भी बंधक थे, जिनकी उम्र 5-6 साल है। आरोपी महिला काफी समय से मकान पर नहीं आई थी।
रेस्क्यू करने वाली चाइल्ड लाइन की टीम की कोऑर्डिनेटर रुखसाना ने बताया कि काउंसलिंग में सामने आया कि बच्चे तीन सौ वर्ग गज के मकान में अकेले रह रहे थे। इनकी सार संभाल के लिए वहां कोई नहीं था। मधु अग्निहोत्री नाम की जो महिला इन बच्चों को यहां बंधकर बनाकर रख रही थी, वह दो तीन महीने में एक बार रात के समय ही मकान पर आती थी। कुछ देर रुकती और चली जाती थी। इस दौरान बच्चों से कोई गलती हुई होती तो उनके साथ मारपीट करती थी। दरअसल, महिला के बेटे के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज है।
इस मामले में महिला भी संदिग्ध थी। जब पुलिस ने उसके हीरापुरा रजनी विहार वाले मकान पर दबिश दी तो वह मकान के पीछे की तरफ वाली दीवार कूदकर भाग गई थी। इसके बाद से महिला इस मकान पर नहीं आती थी।
बच्चे ही इस मकान में जैसे तैसे रह रहे थे। महिला पड़ोसियों और रिश्तेदारों को यही बताती थी कि वह शेल्टर होम चलाती है और बच्चों की देखभाल करती है। इन तीनों बच्चों को भी वह शेल्टर होम में रखने का ही बताकर लेकर आई थी।
चाइल्ड हेल्पलाइन कोऑर्डिनेटर रुखसाना ने बताया कि बच्चों को समय पर खाना तक नसीब नहीं हो रहा था। दो छोटे बच्चे तो कई बार घर से बाहर निकलकर सड़क पर पड़ी रोटियां तक खा जाते थे। बंधक मुक्त करवाई बालिका ने बताया कि मालकिन ने एक दुकान बता रखी थी। वह उस दुकान पर जाती थी। जहां से उसे कुछ दिन का राशन मिल जाता था। मालकिन ही दुकानदार को बताती थी कि राशन कितना देना है और क्या देना है। इसके बाद वही लाकर खाना बनाती थी। राशन खत्म हो जाता तो फिर कई दिन भूखे रहना पड़ता। कुछ समय पहले बालिका के घर वाले भी बालिका को लेने आए थे।
महिला ने बालिका से उन्हें मिलने तक नहीं दिया। उल्टा डरा धमकाकर घरवालों को वापस भेज दिया। बालिका के परिवार वाले काफी गरीब हैं। बालिका सात साल की थी उस समय उसे मधु, इलाज और पढ़ाई का नाम लेकर अपने साथ लेकर आई थी। आठ साल तक बालिका को नौकरानी बनाकर रखा। मधु ने बालिका को इतना डरा धमका भी रखा था कि शुरुआत में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थी। विश्वास में लेने के बाद उसने टीम को आपबीती बताई।
जब बच्चों का रेस्क्यू किया गया, उनकी हालत काफी खराब थी। सर्दी के बचाव के कपड़े तक नहीं थे। जो पहन रखे थे, वो भी फटे पुराने। बालिका ही इन दोनों बच्चों का जैसे तैसे ध्यान रख रही थी। मधु ने दिखावे के लिए बालिका का स्कूल में दाखिला करा दिया था लेकिन स्कूल भेजती नहीं थी। एक बच्चे के पैर में काफी फुंसियां हो रही थी।
दूसरे की स्किन डैमेज थी। बच्चे दो महीने से नहाए तक नहीं थे। एक बच्चे के सिर में चोट का निशान मिला। पता करने पर सामने आया कि मधु ने बच्चे से गलती होने पर उसे डंडा मारा था। आरोपी महिला ने बालिका को बंधक बनाकर ही नौकरानी का काम करवा रही थी।