जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले में घुसी टेक्सी को रोकने के प्रयास में शहीद हुए एएस आई सुरेंद्र सिंह (52) गुरुवार शाम नीमराना(कोटपूतली-बहरोड़) में पैतृक गांव काठ का माजरा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और बाद में बेटे आकाश ने मुखाग्नि दी।
सुरेंद्र सिंह 25 साल की पुलिस सर्विस में आए थे और ज्यादातर जयपुर में ही पोस्टेड रहे। कांस्टेबल रमेश चंद्र ने बताया कि सुरेंद्र सिंह छह महीने पहले ही ट्रांसफर होकर ट्रैफिक में आए थे। साल 1992 बैच के सुरेंद्र सिंह नीमराना (कोटपूतली-बहरोड़) के गांव काठ का माजरा के रहने वाले थे।
उनके पिता रोहिताश इंडियन आ्मीं में कैप्टन थे। सुरेंद्र सिंह राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे। साल 2018 में प्रमोशन के बाद एएसआई बने थे। जयपुर के करणी विहार इलाके में सुरेंद्र सिंह पत्नी और बेटा-बेटी के साथ रहते थे। उनका बेटा एमबीबीएस के बाद इंटर्नशिप कर रहा है। बेटी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। उनके पिता गांव में ही रहते हैं। सुरेंद्र सिंह तीन बहनों के इकलौते भाई थे।
सुरेंद्र सिंह स्ट्रीट डॉग्स लवर थे। पिछले 25 साल से डॉग्स को खाना खिला रहे थे। उनके इस धार्मिक काम में उनकी पत्नी का भी बराबर सहयोग रहता था। पड़ोसी कर्मवीर चौधरी ने बताया कि एएसआई सुरेंद्र सिंह अक्सर गांव आते रहते थे। उनकी पढ़ाई भी दुसरे शहर में हुई थी। लेकिन उन्होंने कभी परिवार और गांव से अपना लगाव नहीं छोड़ा। हालाकि सुरेंद्र सिंह उनसे उम्र में बड़े थे, तेकिन जब भी गांव आते थे, हमेशा साथ खेलते थे। हंस मुख और शांत स्वभाव के सुरेंद्र सिंह को गाडियों का बहुत शौक था।