जयपुर। विश्व आयुर्वेद परिषद, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में 15 से 17 नवंबर 2024 तक आयोजित हो रहे संयोजनम 2024 का शुभारंभ ऊर्जा मंत्री राजस्थान सरकार हीरालाल नागर, जयपुर सांसद मंजू शर्मा, एनसीएसएम चेयरमैन जयंत देवपुजारी, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति, विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गोविंद सहाय शुक्ल के मुख्य आतिथ्य में हुआ।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ऊर्जा मंत्री राजस्थान सरकार हीरालाल नागर ने आयुर्वेद की जन जागरूकता के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम संयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा आयुर्वेद हमारी चिकित्सा पद्धति ही नहीं है यह जीवन जीने की एक कला है, यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करके अपने स्वास्थ्य को इससे लाभ दे सके। हम निरंतर अपने जीवन में आयुर्वेद पद्धतियों का प्रयोग करते हुए, आयुर्वेद नुस्ख़ों का प्रयोग करते हुए हम अपने जीवन में अपनाएंगे जिससे हमारा जीवन और स्वास्थ्य निश्चित रूप से स्वस्थ रहेगा।
हमने बचपन में देखा है हमारी दादी-नानी के नुस्खे आयुर्वेद के आधार पर ही होते थे, छोटे-छोटे नुस्ख़ों से हमें स्वस्थ रखा जाता था और कई रोगों का इलाज किया जाता था। आयुर्वेद हमारे संस्कृति और संस्कारों में विद्यमान रहा था, समय के साथ परिवर्तन हुआ और जल्दी सही होने के लिए आयुर्वेद के अलावा अन्य चिकित्सा की पद्धति बदलती गई। आयुर्वेद के प्रति आम जनता को जागरूक करने के लिए हमें कई अभियान चलाने होंगे, जिससे अधिक से अधिक लोग आयुर्वेद से जुड़े और इसका लाभ लेते हुए स्वस्थ रहे। जिस प्रकार योग की विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनी इस प्रकार आयुर्वेद के प्रचार प्रसार से जल्द ही विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाएगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जयपुर सांसद मंजू शर्मा ने कहा आयुर्वेद का इलाज आमजन की पहुंच में है। आयुर्वेद हमारे देश का खजाना है, हनुमान जी ने भी लक्ष्मण जी को बचाने के लिए आयुर्वेद संजीवनी बुटी का इस्तेमाल किया था। हम पहले किसी की छोटे रोग में घर के नुस्खे से ही आयुर्वेदिक उपचार करके सही हो जाते थे। आयुर्वेद सही तरीके से उपयोग करने पर इसका किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, आयुर्वेद हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। आयुर्वेद में अध्ययन कर रहे विद्यार्थी आयुर्वेद का परचम देश के साथ विश्व में फैलाएं और आमजन को अधिक से अधिक लाभ पहुचाने में अपना योगदान दे।
एन सी एस एम चेयरमैन जयंत देव पुजारी ने कहा आयुर्वेद के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट की जरुरत है, रोज सुबह घूमने वालों की संख्या ज्यादा है, लेकिन हमें आयुर्वेद के साथ जुड़ना चाहिए। कम इन्वेस्टमेंट वालों के लिए भी एंट्री लेवल होना चाहिए, इसके लिए जो भी बदलाव करने है उस पर हमें विचार करने की जरुरत है. जो नये नये रिसर्च आ रहे है उनको बताने की जरुरत है। हमारी भाषा पर भी हमें विचार करना चाहिए, फसलों की सुरक्षा के विषय पर 70 रिसर्च हो चुके है, इसको हमें बताने की जरुरत है। दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जो इस क्षेत्र में अग्रणी है और हमें अग्रणी बना रहना है।
आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा गुरुनानक देव जी को याद करते हुए युवाओं को संदेश दिया, देश के वातावरण को समझना हो, देखना होगा, और आज के वातावरण के अनुसार पने आप को आगे लाये, आपने माइंड को सेट करें. पहले यह आयुर्वेद संस्थान हुआ करना था अब ये केंद ओर राज्य सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वद्यालय बन गया है। आज राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान एनसीआईसीएसएम के रैंकिंग में पूरे देश मे प्रथम नम्बर पर आ गया है।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति नए संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में देश के साथ पूरे विश्व में बहुत ज्यादा संभावना है। इस महाकुंभ के माध्यम से आयुर्वेद में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को आयुर्वेद के विषय मे जानने का अवसर मिलेगा। विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले आयुर्वेद के अग्रणी संस्थान राष्ट्रीय संस्थान जयपुर, डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर वैद्य संजीव शर्मा एवं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रोफेसर वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के स्नातकोत्तर क्रिया शारीर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सी आर यादव ने बताया कि देश भर के आयुर्वेद मनीषी, आयुर्वेद अध्येता ,शोधकर्ता ,चिकित्सक एवं औषध निर्माता उपस्थित रहे। कार्यक्रमों की श्रृंखला में पोषणम, कर्माभ्यासम, उद्बोधनम, गतिविधिम , क्रीडनम आदि कार्यक्रमों का आयोजन होना है।
पोषण के अंतर्गत आयुर्वेद आहार का संतर्पण जन्य व्याधियों जैसे मोटापा, डायबिटीज, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स आदि में उपयोगिता,कर्माभ्यास के अंतर्गत आयुर्वेद में वर्णित प्रायोगिक कर्मों की क्रियाविधि जैसे शिरो बस्ती, शिरोधारा, नाडी परीक्षा, मर्म चिकित्सा ,अग्निकर्म, नस्य कर्म, प्रकृति परीक्षण ,जलौकावचारण आदि का अभ्यास करवाया जाएगा। आयुर्वेद में पेपर प्रेजेंटेशन और विभिन्न प्रतियोगिताओं स्लोगन, डिबेट, आशु भाषण, पोस्टर मेकिंग, सोशल मीडिया अवेयरनेस रील वीडियो, आयुर्वेद के प्रसार से जुड़े इन्नोवेटिव आईडिया, स्टार्टअप और एंटरप्रेन्योरशिप पर चर्चा की जाएगी। नाडी विशेषज्ञ वैद्य विनायक तायडे,मुंबई महाराष्ट्र, प्रायोगिक कर्माभ्यास करवाएंगे । इस कार्यक्रम में सहभागिता के लिए देशभर से लगभग 3 हजार आयुर्वेद के शिक्षक , चिकित्सकों, शोधार्थी भाग ले रहे है।