जयपुर। संगीत रसिकों के बीच विद्याश्रम के सुरुचि केंद्र सभागार में पंडित आलोक भट्ट ने मोहन वीणा पर जब राग बागेश्वरी के स्वर छेड़े तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर मौके की राग का स्वागत किया। रंगशिल्प,भुवन्स सुरुचि केन्द्र द्वारा कल्पना संगीत विद्यालय समिति के सहयोग से आयोजित “स्वर मीमांसा ” कार्यक्रम के अंतर्गत कलाकार “एक विधा अनेक”मे पंडित आलोक भट्ट ने बागेश्वरी में आलाप,जोड़ ,झाला के बाद मध्यलय द्रुत तीन ताल, विलंबित द्रुतगत के बाद राग किरवानी में एक धुन प्रस्तुत की। आलोक में जिस सहजता और सरलता से मोहन मीणा पर स्वरों का उतार चढ़ाव किया,वह दर्शकों के दिलों को छू गया।
इससे पूर्व रंगकर्मी और लोक गायक ईश्वर दत्त माथुर ने पंडित आलोक भट्ट की संगीत पृष्ठभूमि और उनकी संगीत यात्रा, साहित्य सृजन और सांस्कृतिक क्षेत्र में उनके अवदान पर सार्थक चर्चा की। पंडित आलोक भट्ट ने कहा कि संगीत ही ईश्वर उपासना का सहज और सरल माध्यम है और मन की अभिव्यक्ति है।
कार्यक्रम में सरल बिहारी जी मंदिर के महंत पंडित दीपक गोस्वामी और समाजसेवी एवं साहित्यकार प्रभाकर गोस्वामी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । कार्यक्रम में काफी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित थे।रंगशिल्प के सचिव राजेंद्र शर्मा राजू ने स्वागत किया और अंजू भट्ट ने आभार व्यक्त किया।