बसन्त पंचमी का पर्व माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। बसन्त पंचमी के दिन भगवान विष्णु और शिक्षा की देवी माता सरस्वती की पूजा पीले फूल, गुलाल, अर्ध्य, धूप, दीप, आदि द्वारा की जा जाती है। पूजा में पीले व मीठे चावल व पीले हलुवे का श्रद्धा से भोग लगाकर, स्वयं इनका सेवन करने की परम्परा है। सरस्वती पूजा प्रेरणा देती है कि प्रकृति की तरह जीवन भी उल्लासपूर्ण होना चाहिए। बसंत इस मान्यता का प्रतीक है कि सुख-दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं, हमें सहज भाव से दोनों का स्वागत करना चाहिए।
जो लोग निराशा और दुखों को अपनी किस्मत मान बैठते हैं, बसंत ऋतु उन्हें जीने की प्रेरणा देती है। वहीं ये दिन विद्याार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। विद्या अर्जित करने वाले छात्र यदि पूरी निष्ठा से माता सरस्वती की पूजा करते हैं तो माता सरस्वती प्रसन्न होकर उन्हें विद्या-बु़िद्ध प्रदान करती हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी ऐसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न
बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पीले वस्त्र धारण करके विशेष पूजा करें और पीली वस्तु से माता को भोग लगाऐं।
अपनी किताबों पर पीला कवर लगाकर उस पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें।
जो विद्यार्थी शिक्षा में कमजोर हैं, आज के दिन 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ेगी।
प्राण प्रतिष्ठायुक्त सरस्वती माता का चित्र अपने अध्ययन कक्ष या टेबल पर रखें।
पढ़ाई सदा टेबल कुर्सी पर बैठ कर ही करें और मुख पूर्व या उत्तर या उत्तर -पूर्व की ओर रखें। पीठ के पीछे ठोस दीवार हो, खिड़की नहीं।
इस दिन अपना पढ़ाई का टाईम-टेबल निर्धारित करें और इसी के अनुसार अध्ययन करें।
पढने बैठने से पहले ‘‘ओम् ऐं हृीं सरस्वत्यैै नमः’’ का 5,11 या 21 बार मंत्र जाप करें।
तुलसी के 11 पत्ते, मिश्री के साथ गटक जाएं, चबाएं नहीं।
मां सरस्वती के चित्र के सामने इस मंत्र से करें 5 या 11 माला जाप
वाक सिद्धि हेतु ,यह मंत्र जाप करें-
ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः
आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए-
ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्!!
रोजगार प्राप्ति व प्रोमोशन के लिए-
ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा !