जयपुर। श्रीमद् भागवत कथा समिति के बैनर तले विद्याधर नगर,सेक्टर-1 स्थित शेखावाटी विकास परिषद में चल रही श्रीमद् भागवत कथा मे व्यासपीठ से संत हरिषरण दास जी महाराज ने कहा कि श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार मनुष्य को कभी भी अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए और सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए। जो मनुष्य अपने आप पर संदेह करता है और असत्य का साथ देता है। वह कभी भी जीवन में विजय नहीं होता।
उन्होंने आगे कहा कि भागवत यह बताती है कि हम कैसे अपने जीवन को गीता के आधार पर जीयें। हम जीवन में व्यवहार कैसे करें तथा अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे कार्य करें कि हम चिंता शोक तनाव भय व अन्य विकारों से निजात पा सकें।श्रीमद्भागवत हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी ही मुसीबत आए, संकट आए हमें मुस्कुराते हुए हर पल बिताना चाहिए। जीवन में मित्रता से बड़ा कोई दूसरा धन नहीं है।
इंसान हर रिश्ता रक्त के संबंध से निभाता है लेकिन मित्रता
हृदय के संबंध से चलती है। जीवन में अच्छे मित्र का होना सबसे बड़ी दौलत है।भगवत गीता जीवन का मार्गदर्शन है। श्रीमद्भगवत गीता में जीवन का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है। कुरूक्षेत्र में जब सारथी बनकर भगवन कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया तो उसे सुनकर अर्जुन को अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया और उन्होंने हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण से कहा कि प्रभु आपने तो जीवन का सार ही समझा दिया है। हर प्रकार की तृष्णाओं को मिटा दिया है। इस उपदेश को सुनकर ऐसा प्रतीत हो रही है कि आत्मा शुद्ध हो गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि गीता के उपदेशों में आत्मा की शुद्धि पर विशेष बल दिया गया है। गीता के उपदेश व्यक्ति को महान बनने के लिए प्रेरित करते हैं।श्रीमद्भगवदगीता में भगवान कृष्ण द्वारा दी गई सीखें आज के दौर में लोगों के लिए सक्सेस मंत्र से कम नहीं है. श्रीकृष्ण की बातें जितनी अर्जुन के लिए महत्वपूर्ण थी उतनी ही आज के इंसान के लिए हैं. अगर इन बातों को जीवन में अपना लिया जाए तो जीवन जीने की राह आसान हो जाएगी। इसके अलावा जिंदगी में आ रही बाधाओं का सामना करने में मदद करती हैं।
ये भागवत हमसे हमारी पहचान कराती है। हमें जीवन यापन कैसे करना चाहिए यह सिखलाती है। उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति भगवान से मित्रता कर ले तो उसका संसार में आने के बाद मिलने वाले सभी दुखों से मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि मानव भौतिकवाद में इतना गुम हो गया है कि वह भगवान को याद करना ही भूल जाता है। कष्ट आने पर भगवान के दर पर माथा रगड़ता है, लेकिन कष्ट मिटते ही फिर से खो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने मन से अहंकार की भावना को मिटाना होगा। भगवान को प्राप्त करने का एकमात्र उपाय भक्ति है।