जयपुर। ‘रामसेतु’ निर्माण में जिन पत्थरों का उपयोग किया गया था, उन पर ‘राम- नाम’ लिखा गया था। जिसके पानी में तैरने के साक्ष्य अब भी चौंकाते हैं। हजारों वर्षो बाद इतिहास फिर अपनी कहानी दोहराने जा रहा है। अंतर बस इतना है कि ‘राम-नाम’ इस बार ईंटों पर लिखा गया है, वे ईंटें जो राम मंदिर निर्माण में लगी हैं। ये हर भारतीय और विशेषकर राजस्थानियों के गौरवान्वित होने का क्षण है, मंदिर परिसर की हर दीवार और सीढ़ियों में बंसी पहाड़पुर के पत्थरों के बीच खाली जगह भरने के काम आएंगी ये ईंटे। जिनका स्पर्श पाकर यहां आने वाले दर्शनार्थी व भक्तजनों का रोम- रोम प्रभु श्री ‘राम-नाम’ से खिल उठेगा। आपने सुना होगा राम से बड़ा राम का नाम है। अब राम मंदिर के निर्माण में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। भगवान रामलला का बहुप्रतीक्षित मंदिर ऐसी ही अद्भुत कहानियों को अपने निर्माण में समेटे हुए हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कैंप कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राम मंदिर में जो सीढ़ियां बनाई जा रही हैं उन्हीं सीढ़ियों में इन ईंटों का उपयोग किया जा रहा है। क्योंकि राम मंदिर में बड़े-बड़े पत्थर लगाए जा रहे हैं और जहां पर पत्थर नहीं लग पा रहे हैं वहां पर इन दोनों का प्रयोग किया जा रहा है।
वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग
ईंटों पर राम नाम लिखने व इसे खाली जगह पर पत्थरों के बीच में लगाने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया गया है। ताकि मंदिर हजारों साल सुरक्षित रहे। ईंट बनाने से पहले विशेषज्ञों से राय ली गई हैं। खासतौर पर इंजीनियर्स से इस बारे में गहनता के साथ बातचीत होने और ईंटों की मजबूती के तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी जुटाई गई है। इसके उपयोग पर सौ प्रतिशत सहमति बनने के बाद ही इन ईंटों को लगाया गया है।
रिक्त जगह को भरेगी ईंट
भगवान रामलला के मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पत्थरों की डिजाइन के बीच आने वाली खाली जगह में चंडीगढ़ से वैज्ञानिक पद्धति से निर्मित ईंटों का प्रयोग किया जा रहा हैं। इन ईंटों को बनाने के लिए चंडीगढ़ की एक कंपनी को विशेष ऑर्डर दिया गया है। यहां से बड़ी संख्या में राम नाम की ईंट अयोध्या पहुंची हैं। इन्हीं ईंटों को राम जन्म भूमि के मंदिर के अंदर दो पत्थरों के बीच में आने वाले गैप यानी खाली जगह में लगाया गया है।
सलाखों के रूप में भी काम करेंगी ईंटे
सभी ईटों की गुणवत्ता चेक कर के ही लगाया जा रहा है। ईंटों से रैम्प बनाया गया है। इसके अलावा ईंट का इस्तेमाल सीढ़ियों में भी किया गया है। राम नाम ईंट के अलावा 3 होल की ईंट भी लगाई जा रही हैं, जो पत्थरों को परस्पर जोड़ने के लिए सलाखों के रूप में काम करेंगी। जिससे पत्थरों में सैकड़ों वर्षो तक मजबूती बनी रहेगी और वे भूकंप रोधी रहेंगे। अब तक लगभग डेढ़ लाख ईंट चंडीगढ़ से अयोध्या आ चुकी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
मंदिर निर्माण में जहां पत्थर नहीं लगाए जा सकते हैं वहां पर जो खाली स्थान बच रहा हैं उन्हीं स्थानों को भरने के लिए इन ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। ईंटों में इतनी मजबूती है कि एक बार लग जाने के बाद जिन्हें तोड़ना मुश्किल हैं।