जयपुर। आदिदेव महादेव का प्रिय माह सावन सोमवार 22 जुलाई को श्रवण नक्षत्र में प्रीति योग के संयोग में मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आरंभ हो रहा है। दो तिथियां का क्षय होने से छोटीकाशी 29 दिनों हर हर महादेव…, बोल बम ताडक़ बम से गूंजायमान रहेगा। श्रावण माह की शुरुआत और समापन भी सोमवार को होने के कारण शिव भक्तों में भारी उत्साह है। युवाओं की टोलियां सावन के पांचों सोमवार को गलताजी से कावड़ लेकर आएंगी।
श्रावण महिने में आ रहे खास छह योग में श्रद्धालु सहस्त्रघट और सवामणि के आयोजन करेंगे। चौड़ा रास्ता स्थित ताडक़ेश्वर, वैशालीनगर के झारखंड महादेव,बनीपार्क स्थित जंगलेश्वर, कूकस के द्वादश ज्योर्तिर्लिंगेश्वर, आमेर के भूतेश्वर महादेव, छोटी चौपड़ स्थित रोजगारेश्वर, झोटवाड़ा रोड स्थित चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर में सावन के हर दिन शिव भक्तों का तांता लगा रहेगा।
श्रवण नक्षत्र का परिभ्रमण 23 घंटे का :
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि श्रावण मास का आरंभ श्रवण नक्षत्र में हो रहा है। श्रवण नक्षत्र का परिभ्रमण काल इस दिन तकरीबन 23 घंटे का रहेगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के नाम से महीनों के नाम तय किए गए है। इस दृष्टि से श्रवण नक्षत्र में श्रावण का आरंभ शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। यह नक्षत्र कार्य की सिद्धि के लिए उपयुक्त बताया गया है। श्रावण मास में सोमवार का विशेष महत्व है।
शिव आराधना से सफल होंगे मनोरथ:
सावन में सोमवार या सोमवार से श्रवण की शुरुआत पूरे माह पर्यंत भगवान शिव की आराधना का संकल्प के आधार पर अनुष्ठानात्मक या अभिषेकात्मक पूजन से भगवान शिव को प्रसन्न करने का माना गया है। श्रवण नक्षत्र में सावन का आरंभ श्रवण नक्षत्र में सोमवार का दिन विशेष रूप से फल देने वाला बताया जाता है। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने से मनोरथ सिद्ध होते है।
इस महिने के दौरान शिव कथा लीला अमृत का पारायण, शिव महापुराण का पारायण, शिव स्तोत्र, शिव कवच का पाठ कर महामृत्युंजय की साधना आराधना करने से मन बुद्धि शरीर का रोग दोष समाप्त होता है। उत्तम स्वास्थ्य उत्तम दीर्घायु की प्राप्ति होती है। श्रावण महीने में पंचोपचार या षोडशोपचार से भगवान शिव की पूजन, शिवलिंग का नित्य अभिषेक अथवा सामान्य जल से भी भगवान शिव का अभिषेक करने से पारिवारिक सुख शांति के साथ-साथ घर परिवार में वायव्य दोष की भी निवृत्ति होती है।
इस माह के खास योग-संयोग:
इस बार श्रावण मास में पांच सर्वार्थ सिद्धि योग, एक अमृत सिद्धि योग और रवि पुष्य का विशेष संयोग रहेगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग संयोग का विशेष महत्व बताया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन योगों में भगवान शिव की विशेष आराधना कार्य की सिद्धि के साथ-साथ मनोवांछित फल प्रदान करती है। यही नहीं इन योगों के दौरान विशेष कार्य भी साधे जा सकते हैं।