November 22, 2024, 12:00 pm
spot_imgspot_img

जेकेके में स्वामी विवेकानंद के दर्शन और साहित्य पर चर्चा

जयपुर। ‘तुम आओ गहन अंधेरा है, हमसे अति दूर सवेरा है, हम भटक रहे हैं राहों में अज्ञान तिमिर ने घेरा है, हे महाऋषि पथ दिखलाओ, है पूर्ण काम—सत्य काम, हे ज्योति पुत्र तुमको प्रणाम’, अपने इसी गीत के साथ वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने युवाओं के प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद का आह्वान किया। मौका था शनिवार को जवाहर कला केन्द्र में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित संवाद प्रवाह का।

सत्र में नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. विद्या जैन ने ‘स्वामी विवेकानंद का दर्शन और साहित्य’ विषय पर विचार साझा किए। युवा साहित्यकार तसनीम खान मॉडरेटर रहीं। सत्र में विवेकानंद के जीवन प्रसंगों, उनके विचारों, वैश्विक स्तर पर उनकी स्वीकार्यता, वर्तमान में विवेकानंद के आदर्शों की प्रासंगिकता, युवाओं के लिए विवेकानंद के महत्व समेत कई बिंदुओं पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला।

इस दौरान पद्मश्री शाकिर अली, वरिष्ठ साहित्यकार लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ अन्य साहित्य प्रेमी व कला अनुरागी मौजूद रहे। नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि पहली बार 9वीं कक्षा में विवेकानंद को पढ़ा, जीवन भर उनका प्रभाव रहा। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर है क्योंकि उनमें संभावना और ऊर्जा दोनों है। साथ ही कहा कि वृद्धावस्था एक मानसिकता है, विवेकानंद स्वयं कहते थे, ‘स्ट्रैंथ इज लाइफ एंड वीकनेस इज डेथ’, इसलिए शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनना चाहिए।

बकौल शर्मा विवेकानंद के विचार सदैव प्रासंगिक रहेंगे, उनका जीवन ही उनका दर्शन है। उन्होंने बताया कि राजस्थान से विवेकानंद का खास रिश्ता है, नरेंद्र को यह नाम खेतड़ी में ही मिला, खेतड़ी में उनका स्मृति मंदिर भी है। ‘जमीं से आसमां की दूरी घटती गयी, बढ़ता गया आदमी से आदमी का फासला’ और यह फासला विवेकानंद के विचार ही दूर कर सकते हैं।

उन्होंने धर्म की ऐसी मौलिक परिभाषा दी जो सर्वस्वीकार्य है, वे राष्ट्र को जाग्रत देवता के रूप में आराधना करने की बात कहते थे। युवाओं को सफलता के लिए उन्होंने, ‘पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता’ का मंत्र दिया। शर्मा ने बताया कि इंटरनेट पर विवेकानंद रियल वॉइस के नाम पर जो आवाज सुनने को मिलती है वह असली नहीं है, इस संबंध में जब विशेषज्ञों से वार्ता की गयी तो बताया गया कि विवेकानंद की आवाज इतनी आकर्षक थी जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता। विवेकानंद को जानने के लिए उन्होंने किताबें पढ़ने पर जोर दिया।

डॉ. विद्या जैन ने कहा, सौभाग्य यह है कि विवेकानंद का जन्म भारत में हुआ, उनके प्रगतिशील और क्रांतिकारी विचार समाज के हर वर्ग के लिए है। उन्होंने बताया कि विवेकानंद ने महासमाधि से पूर्व वैदिक विश्वविद्यालय और महिला विश्वविद्यालय की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने निर्भीक रहने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने पर जोर दिया।

वे भारत बनाम वेस्ट की बात नहीं करते थे बल्कि थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल का भाव उनके विचारों का सार है। डॉ. विद्या ने यह भी कहा कि सशक्त भारत से ही सशक्त संसार का निर्माण होगा और विवेकानंद के मार्ग पर चलकर युवाओं को ही भारत को सशक्त बनाना है। तसनीम ख़ान ने कहा कि वैदिक मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को विश्व पटल पर पहचान विवेकानंद ने दिलायी और इसी विचार को हमें आगे बढ़ाना है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles