जयपुर। ‘हम अक्सर कहते हैं जैसा देश वैसा वेश तो देश के हिसाब से खानपान क्यों नहीं अपनाया जा रहा है, पारंपरिक खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने के साथ-साथ अव्यवस्थित जीवन शैली भी कैंसर जैसी बीमारी का बड़ा कारण है’। वर्ल्ड कैंसर डे के अवसर पर आयोजित चर्चा सत्र में राजस्थान विश्वविद्यालय के जूलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियदर्शी मीणा ने यह बात कही।
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर लाइफ साइंसेज (आईएसएलएस), राजस्थान विश्वविद्यालय के ईसीएच इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में 5 फरवरी तक आयोजित जयपुर न्यूट्रीफेस्ट में रविवार को ‘कैंसर के विरुद्ध जंग-कैंसर से बचाव में खान पान की भूमिका’ चर्चा सत्र रखा गया। प्रो. प्रियदर्शी मीणा ने कहा कि शहरों के मुकाबले गांवों में कैंसर के रोगी कम देखने को मिलते हैं इसका मुख्य कारण है कि वहां पारंपरिक खाद्य पदार्थों के सेवन के साथ—साथ जीवन शैली का भी ध्यान रखा जा रहा है।
‘गेहूं-चावल पहुचाएंगे जहर की तरह नुकसान’
ईसीएच कॉर्डिनेटर प्रो. सुमिता कच्छावा ने आईसीएमआर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जो गेहूं और चावल हम अधिक मात्रा में खा रहे हैं वे 10 साल के भीतर जहर की तरह नुकसान पहुंचाएंगे क्योंकि इनके माइक्रोन्यूट्रिएंट में गिरावट आती जा रही है। उन्होंने बाजरे समेत अन्य मोटे अनाज खाने पर जोर दिया। डॉ. वंदना चौधरी ने कहा कि हमें जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
जूलॉजी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वंदना नूनिया ने कहा कि कैंसर डिटेक्ट होने के बाद तुरंत उपचार लेना जरूरी है। धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। सभी विशेषज्ञों के विचारों का यही मर्म सामने आता है कि फास्ट फूड, स्ट्रेस, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स कैंसर के प्रमुख कारण हैं और नेचुरल फूड कैंसर को रोकने में बड़ी भूमिका निभाता है।
डॉ. देव स्वरूप ने ली हेल्दी प्रोडक्ट्स की जानकारी
इधर, बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. देव स्वरूप ने जयपुर न्यूट्रीफेस्ट में पहुंचकर स्टॉल्स का निरीक्षण किया। उन्होंने हेल्दी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स और इनोवेटिव स्टार्टअप की जानकारी ली। फेस्ट में जैसलमेर से पहुंचे लंगा कलाकारों ने लोक गीतों की प्रस्तुति से समां बांधा।