जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह चिकित्सालय में पांच महीने की बच्ची के सिर से जुड़ी गांठ का जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने उसे नया जीवन दान दिया है। जानकारी के अनुसार जन्मजात बच्ची के यह गांठ सिर से जुडी मिली थी। शुरुवाती दौर में परिवार के लोगों को बच्ची के जन्म के बाद देखने पर लगा कि बच्ची के दो सिर हैं। लेकिन जैसे जैसे बच्ची बड़ी हुई उसी दौरान करीब पांच महीने के अंतराल में गांठ 2 किलो की हो गई। इस वजह से बच्ची का मूवमेंट ठीक से नहीं हो पाता था।
वह सीधे सो भी नहीं पाती थी। एसएमएस अस्पताल की न्यूरोसर्जरी ओपीडी में दिखाने पर डॉक्टरों की जांच पड़ताल में बच्ची के गांठ होना पाया गया। जिससे डॉक्टरों ने बच्ची की सर्जरी करने का निर्णय किया। प्रोफेसर डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि करीब पांच घंटे के कड़ी महनत से जटिल सर्जरी करने के बाद बच्ची को दो दिन एनआईसीयू में रखा गया। जब तक बच्ची आराम से खाना पीना ले रही है, और अब वह ठीक है और उसे छुट्टी दे दी है।
सीनियर प्रोफेसर डॉ. संजीव चौपड़ा के निर्देशन में प्रोफेसर डॉ. विनोद शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बी.एल. बैरवा, डॉ. मोहित, डॉ. शोभा पुरोहित और डॉ. मीनू शर्मा ने ऑपरेशन किया। डॉ. विनोद शर्मा ने बताया बच्ची के जन्म के बाद से ही सिर से जुडी गांठ होने के कारण बच्ची के ब्रेन का कुछ पार्ट इस गांठ के अंदर चला गया था। इसलिए ऑपरेशन बहुत ही जटिल और सावधानी से ब्रेन के इस हिस्से को बिना नुकसान पहुंचाए गांठ को निकालना बड़ी चुनौती थी, क्योंकि कोई भी गलती होने पर बच्ची की जान जा सकती थी। इसके अलावा शरीर के अंगों पर भी इसका असर पड़ता।
एसएमएस अस्पताल के मीडिया प्रवक्ता डॉ देवेंद्र पुरोहित ने बताया कि घर वालों ने उन्हें अलवर में किसी डॉक्टर को दिखाया। उसने बताया की जन्मजात विकृति के कारण यह रशोली बनी है, पर यह रशोली दिमाग़ से भी जुड़ी हुई है। यदि बच्ची का आपरेशन हुआ तो बच्ची नहीं बचेगी , घर वाले परेशान हो गये । क्योंकि गांठ की वजह से बच्ची को कपड़े पहनाने मे , सुलाने में कई परेशानी होती थी । बच्ची को सीधा नही सुला सकते , कई डॉक्टरो से सम्पर्क किया, सबने यही कहा की आपरेशन के बाद बच्ची की मौत हो सकती हैं।
घर वाले बहुत परेशान हो गये ।ऐसे में किसी जानकार ने उनको बताया की आप सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर मे सम्पर्क करो । घरवालों ने बच्ची को डॉ संजीव चौपडा की यूनिट मे दिखाया । डॉक्टर ने बच्ची के आपरेशन की सलाह दी । सारी तैयारी के साथ आपरेशन का निर्णय हुआ। न्यूरोसर्जन डॉ सजीव चौपडा,, डॉ विनोद शर्मा, डॉ बी एल बैरवा , डॉ मोहित एंव एनेस्थीसिया टीम डॉ शोभा पुरोहित, डॉ नीलू शर्मा ने 3 घंटे चले आपरेशन के बाद रशोली को सिर से अलग करने में कामयाब रहे । बच्ची को दो दिन गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है, दूध पी रही है। ओर बच्ची ने पहली बार सिर को सीधा करके सोई ।